ज्ञानवापी केस में फैसला टला

Update: 2022-10-07 09:13 GMT

यूपी। वाराणसी की जिला कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर फैसला टाल दिया है. अब इस मामले में कोर्ट 11 अक्टूबर को फैसला सुनाएगी. ज्ञानवापी सर्वे के दौरान वजूखाने में शिवलिंग की तरह की आकृति मिली थी जिसके हिंदू पक्ष ने विश्वेश्वर शिवलिंग होने का दावा किया था. कोर्ट की कार्यवाही से पहले भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था. इस दौरान कोर्ट में दोनों पक्ष के लोग मौजूद थे. हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में चारों वादी महिलाएं और उनके वकील विष्णु शंकर जैन और हरिशंकर जैन कोर्ट में पहुंचे थे. इसके अलावा सराकरी वकील महेंद्र प्रसाद पांडेय भी जिला जज के न्यायालय में मौजूद थे.

जिला कोर्ट के फैसले से पहले हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने कहा कि हमने कार्बन डेटिंग की मांग शिवलिंग के लिए नहीं की है. हमने मांग की है कि ASI की एक्सपर्ट कमेटी से इसकी जांच की जाए. यह शिवलिंग कितना पुराना है, यह शिवलिंग है या फव्वारा है. शिवलिंग के आसपास अगर कुछ कार्बन के पार्टिकल्स मिले तो उसकी जांच की जा सकती है, लेकिन हमारी मांग सिर्फ एक विशेषज्ञ कमेटी बनाकर इसकी जांच करने की है.

ज्ञानवापी को लेकर विवाद क्या है?

- जिस तरह से अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का विवाद था, ठीक वैसा ही ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का विवाद भी है. स्कंद पुराण में उल्लेखित 12 ज्योतिर्लिंगों में से काशी विश्वनाथ को सबसे अहम माना जाता है.

- 1991 में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरोहितों के वंशज पंडित सोमनाथ व्यास, संस्कृत प्रोफेसर डॉ. रामरंग शर्मा और सामाजिक कार्यकर्ता हरिहर पांडे ने वाराणसी सिविल कोर्ट में याचिका दायर की.

- याचिका में दावा किया कि काशी विश्वनाथ का जो मूल मंदिर था, उसे 2050 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने बनाया था. 1669 में औरंगजेब ने इसे तोड़ दिया और इसकी जगह ज्ञानवापी मस्जिद बनवा दी. इस मस्जिद को बनाने में मंदिर के अवशेषों का ही इस्तेमाल किया गया.

- हिंदू पक्ष की मांग है कि यहां से ज्ञानवापी मस्जिद को हटाया जाए और पूरी जमीन हिंदुओं को सौंपी जाए. 

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