अबु सलेम की उम्रकैद पर फैसला सुरक्षित, जस्टिस तय करेंगे सजा कम की जाए या नहीं
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नई दिल्ली: गैंगस्टर अबू सलेम को दी गई उम्रकैद की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ अब तय करेगी कि अबू सलेम की सजा कम की जाए या नहीं.
पीठ के सामने हुई फाइनल सुनवाई के दौरान सलेम के वकील ऋषि मल्होत्रा ने कहा कि भारत सरकार ने पुर्तगाल की अदालतों को इस बात की गारंटी दी थी कि उसे 25 साल से ज्यादा अवधि तक कैद की सजा नहीं हो सकती. क्योंकि पुर्तगाली कानून के तहत भी किसी को उम्रकैद या 25 साल से अधिक की सजा देना असंवैधानिक है. ऐसे में उसे एक ही अपराध के लिए दो बार जेल की सजा का सामना करना पड़ रहा है. पहले एक बार वो पुर्तगाल की जेल में रहा और अब भारत में भी उसे उम्रकैद की सजा दी जाएगी. लिहाजा अब भारत में सजा की अवधि घटा दी जानी चाहिए.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सलेम की इस दलील पर आपत्ति जताते हुए कहा कि आप जो दलील दे रहे हैं वह बहुत खतरनाक प्रस्ताव है. आप जबरन पुर्तगाली कानून और भारतीय कानून का घालमेल कर रहे हैं.
गौरतलब है कि गैंगस्टर अबू सलेम की ओर से मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. लेकिन पुर्तगाल से प्रत्यर्पण के समय भारत सरकार की ओर से ये भरोसा दिया गया था कि किसी भी मामले में उसे 25 साल से ज्यादा सजा नहीं दी जाएगी.अबू सलेम इसी का हवाला देकर सजा कम करवाने की कोशिश कर रहा है. हालांकि, सीबीआई की ओर से हलफनामा दाखिल कर कहा गया है कि वह 2002 में दिए गए आश्वासन को मानने के लिए बाध्य नहीं है.
वहीं 20 अप्रैल को हुई सुनवाई में केंद्रीय गृह सचिव ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार तत्कालीन उप प्रधान मंत्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा पुर्तगाल सरकार को दिए गए आश्वासन से बंधी है. सरकार ने पुतर्गाल से कहा था कि गैंगस्टर अबू सलेम को दी गई अधिकतम सजा 25 साल से अधिक नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दायर एक हलफनामे में केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने बताया कि 25 साल की अवधि 10 नवंबर, 2030 तक पूरी होगी. हलफनामे में कहा गया है कि यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि भारत सरकार 17 दिसंबर, 2002 के आश्वासन से बाध्य है. आश्वासन के मुताबिक, 25 साल की अवधि का उचित समय आने पर भारत द्वारा उसका पालन किया जाएगा.