नई दिल्ली। 2014 से पहले के दौर और 2014 के बाद के दौर में जमीन-आसमान अंतर है। लोगों का मानना था कि कुछ भी नहीं बदलेगा और भ्रष्टाचार सब जगह होगा, हम सुधरने वाले नहीं हैं, यह देश की मानसिकता बन गई थी। हमारे देश की गिनती भ्रष्ट देशों में होती थी। कोई नेतृत्व, इरादा या नीति नहीं थी। हालांकि, लोगों ने भाजपा को वोट दिया और 2014 में भारत को एक ऐसा नेतृत्व मिला जो भारत को आगे बढ़ा रहा है।