झारखंड हाईकोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण मामले में रखा फैसला सुरक्षित
झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण (10% reservation for economically weaker upper castes) के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand High Court) ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण (10% reservation for economically weaker upper castes) के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर मुखोपाध्याय और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ ने मामले में हुई सुनवाई के दौरान सभी पक्ष के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद शुक्रवार को अपना ऑर्डर रिजर्व किया है.
अब सबकी निगाहें हाईकोर्ट की डबल बेंच के फैसले पर टीकी हैं. सवर्णो को आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर रंजीत कुमार साहा और अन्य की ओर से कोर्ट के डबल बेंच में अपील दायर की गयी है. अपील याचिका पर सुनवाई न्यायाधीश जस्टिस रंगोन मुखोपाध्याय और जस्टिस राजेश शंकर की बेंच में हुई.
साल 2019 में सिंगल बेंच ने आरक्षण लागू करने का दिया था निर्देश
गौरतलब है कि उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने अपने आदेश में कहा था कि वर्ष 2019 में सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का कानून लागू किया गया है. इसलिए वर्ष 2019 से पहले हुई नियुक्ति में इस आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता. इसके साथ ही अदालत ने जेपीएससी को दोबारा विज्ञापन निकालने का निर्देश दिया था. कोर्ट में जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरवाल के साथ वकील प्रिंस कुमार ने भी पक्ष रखा.
फैसले के खिलाफ अदालत में दायर की गयी थी याचिका
मालूम हो कि 22 जनवरी से राज्य में इसकी मुख्य परीक्षा होनी थी. इससे पहले हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था. झारखंड लोक सेवा आयोग ने सिविल इंजीनियर और मैकेनिकल इंजीनियर की वैकेंसी के लिए वर्ष 2019 में विज्ञापन जारी किया था. इसके तहत सिविल इंजीनियर के पद पर 542 और मैकेनिकल इंजीनियर के पद पर 92 अभ्यर्थी शामिल थे. यह महत्वपूर्ण फैसला हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने सुनाया था. प्रार्थी रंजीत कुमार साह ने असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देते हुए झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में याचिका दाखिल की थी.