सालाना बजट की योजनाओं पर नौ महीने में मात्र 44 फीसदी राशि खर्च कर पाई झारखंड सरकार
रांची (आईएएनएस)| झारखंड सरकार आगामी वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए बजट बनाने की तैयारियों में जुटी है, लेकिन चालू वित्त वर्ष में राज्य के सालाना बजट की मात्र 44.19 प्रतिशत राशि ही खर्च हो पाई है। जानकार बताते हैं कि ढाई-तीन महीने के भीतर 56 फीसदी राशि खर्च कर पाना किसी हाल में मुमकिन नहीं है। पिछले महीने इस मुद्दे पर हुई उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में सभी विभागों को योजना मद की राशि के उपयोग में तेजी लाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद योजनाओं को धरातल पर उतारने की रफ्तार में खास तेजी नहीं आ पाई है।
सरकार के पास 31 दिसंबर तक विभिन्न विभागों में खर्च की गई राशि का जो रिकॉर्ड कंपाइल किया गया है, उसके मुताबिक मात्र चार विभाग ऐसे हैं, जिन्होंने वित्तीय वर्ष की तीन तिमाही में 50 फीसदी से ज्यादा की रकम खर्च की है। चालू वित्तीय वर्ष के लिए राज्य का योजना बजट कुल 57 हजार 259 करोड़ है। इसमें से अब तक मात्र 25 हजार 350 करोड़ 52 लाख रुपए खर्च किए जा सके हैं।
राज्य में इस साल मॉनसून की बेरुखी के कारण गंभीर सूखे की स्थिति रही और ऐसे में कृषि विभाग की ओर से सबसे ज्यादा सक्रियता की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन हालात बिल्कुल उलट हैं। कृषि विभाग विभिन्न योजनाओं की राशि में खर्च करने में सबसे फिसड्डी विभागों में रहा। कृषि योजनाओं के सरकार ने बजट में कुल 3600 करोड़ की राशि अलॉकेट की थी। 31 दिसंबर तक विभाग मात्र 464.78 करोड़ रुपए यानी 12.91 फीसदी रकम ही खर्च कर पाया। सबसे ज्यादा हैरान करने वाला आंकड़ा गृह एवं आपदा प्रबंधन विभाग का है। इस विभाग ने योजना मद में कुल लक्ष्य की मात्र 4.49 फीसदी राशि खर्च की है। इसी तरह पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने 22.90, उच्च शिक्षा एवं तकनीकी विभाग ने 27.70, ग्रामीण विकास ने 33.67, खाद्य आपूर्ति विभाग ने 30.04 और शहरी विकास एवं आवास विभाग ने 23.91 फीसदी राशि खर्च की है।
सबसे बेहतरीन प्रदर्शन ऊर्जा विभाग का रहा है, जिसने 31 दिसंबर तक 96.22 फीसदी राशि खर्च की है। महिला बाल विकास ने 71.54 और आदिवासी कल्याण विभाग ने 67.10 फीसदी राशि खर्च की है। सड़क निर्माण विभाग ने 51.52 और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 53.73 फीसदी राशि राशि खर्च की है।
इस बीच सरकार ने नए साल के बजट की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए सरकार ने पिछले साल की तरह इस बार भी लोगों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। इसके लिए सरकार ने हमिन कर बजट नामक एक मोबाइल ऐप भी लांच किया है।