रांची (आईएएनएस)| झारखंड में लगभग 14 हजार सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर सुरक्षा की मांग को लेकर आज हड़ताल पर हैं। राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों, हॉस्पिटलों और क्लिनिकों में इलाज की उम्मीद लेकर पहुंचे मरीजों को वापस लौटना पड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक लगभग एक लाख लोगों का इलाज नहीं हो पाया। हालांकि इमरजेंसी सेवाएं चालू रखी गई हैं, लेकिन ओपीडी और रूटीन इलाज पूरी तरह ठप है।
हड़ताल कर रहे डॉक्टरों ने राज्य के हॉस्पिटलों और मेडिकल कॉलेज कैंपस में अपनी मांगों को लेकर धरना दिया।
हाल में राज्य के गढ़वा, रांची, बोकारो, जामताड़ा, धनबाद और लोहरदगा जिलों में डॉक्टरों पर हमले, मारपीट, दुर्व्यवहार और धमकी की घटनाओं के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और झारखंड हेल्थ सर्विसेज एसोसिएशन ने इस एकदिवसीय हड़ताल का आह्वान किया है।
आईएमए ने कहा है कि अगर राज्य में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने और अन्य मांगों पर सरकार ने तत्काल एक्शन नहीं लिया तो बेमियादी हड़ताल जैसा निर्णय लेने पर बाध्य होना पड़ेगा।
इस हड़ताल के चलते राज्य भर में मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स के ओपीडी में हर रोज दो हजार से भी ज्यादा मरीजों का इलाज होता है। बुधवार को भी बड़ी संख्या में मरीज और उनके परिजन यहां पहुंचे थे, लेकिन डॉक्टरों के नहीं बैठने की वजह से उन्हें निराश लौटना पड़ा।
प्राइवेट क्लिनिकों और हॉस्पिटलों में भी ओपीडी सेवाएं बंद रहीं। डॉक्टरों ने सिर्फ पहले से भर्ती इनडोर मरीजों को देखा। हजारीबाग, जमशेदपुर, धनबाद, पलामू और दुमका स्थित मेडिकल कॉलेजों में ओपीडी सेवाएं बंद रखने की सूचना मिली है।
स्टेट आइएमए के सेक्रेटरी प्रदीप सिंह ने कहा कि आंदोलन का यह निर्णय मजबूरी में लेना पड़ा है। हमने डॉक्टरों पर हो रहे हमलों और उनके साथ दुर्व्यवहार की बढ़ता घटनाओं को लेकर कई बार सरकार का ध्यान आकृष्ट किया। मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने का वादा करके भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। जब हम खुद सुरक्षित नहीं रहेंगे तो मरीजों का इलाज किस तरह कर पाएंगे।
इधर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा है कि एक जिले में डॉक्टर से हमले की घटना को लेकर लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। जहां तक डॉक्टरों की मांगों का सवाल है, सरकार इसपर संवेदनशील है और जल्द ही उनसे बातचीत कर सभी मसलों का समाधान निकाल लिया जाएगा।