उन्होंने आगे कहा, मुख्यमंत्री जी चुनावी प्रचार छोड़कर, ‘सब ठीक होने के झूठे दावे’ छोड़कर स्वास्थ्य और चिकित्सा की बदहाली पर ध्यान देना चाहिए। जिन्होंने अपने बच्चे गंवाएं हैं, वो परिवार वाले ही इसका दुख-दर्द समझ सकते हैं। ये सरकारी ही नहीं, नैतिक जिम्मेदारी भी है। आशा है चुनावी राजनीति करनेवाले पारिवारिक विपदा की इस घड़ी में इसकी सच्ची जाँच करवाएंगे और अपने तथाकथित स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्रालय में ऊपर-से-नीचे तक आमूलचूल परिवर्तन करेंगे। अखिलेश यादव ने स्वास्थ्य मंत्री को कटघरे में खड़ा करते हुए आगे लिखा, उप्र के ‘स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री’ की तो उनसे कुछ नहीं कहना है क्योंकि उन्हीं के कारण आज उप्र में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व्यवस्था की इतनी बदहाली हुई है। संकीर्ण-साम्प्रदायिक राजनीति की निम्न स्तरीय टिप्पणियां करने में उलझे मंत्री को तो शायद ये भी याद नहीं होगा कि वो ‘स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री’ हैं। न तो उनके पास कोई शक्ति है न ही इच्छा शक्ति, बस उनके नाम की तख्ती है।"
उन्होंने आगे लिखा, "सबसे पहले उप्र भाजपा सरकार समस्त झुलसे बच्चों के लिए विश्वस्तरीय चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराए व जिन्होंने अपने बच्चों को खोया है, उन समस्त शोक संतप्त परिवारों को 1-1 करोड़ संवेदना राशि दे। गोरखपुर न दोहराया जाए।" बता दें कि उत्तर प्रदेश के झांसी में हुई 10 बच्चों की मौत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतक नवजातों के परिजनों को पांच पांच लाख रुपये एवं गंभीर घायलों को पचास पचास हज़ार रुपये तत्काल सहायता उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं, बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि यूपी, झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज में आग लगने से 10 नवजात बच्चों की मौत की अति-दुखद घटना से कोहराम व आक्रोश स्वाभाविक है। ऐसी घातक लापरवाही के लिए दोषियों को सख्त कानूनी सजा जरूरी है। ऐसी घटनाओं की भरपाई असंभव फिर भी सरकार पीड़ित परिवारों की हर प्रकार से मदद जरूर करे।