जन आशीर्वाद यात्रा: शिवराज को किया गया साइडलाइन, केंद्रीय मंत्रियों के भरोसे यात्रा

बड़ी खबर

Update: 2023-09-05 13:27 GMT
मध्यप्रदेश। कैम्पेन सॉन्ग का चेहरा मोदी, रिपोर्टकार्ड लॉन्च करने आए शाह और अब जन आशीर्वाद यात्रा की कमान केंद्र के बड़े नेताओं के जिम्मे होने के साथ ही थीम सॉन्ग से शिवराज का गायब होना ये सब संकेत प्रदेश में करीब 2 दशक से भाजपा का चेहरा रहे शिवराज की बढ़ती मुश्किलों की ओर इशारा कर रही हैं। भाजपा नेतृत्व शिवराज के चेहरे पर चुनाव लड़ने से बच रहा है, ऐसा करके भाजपा लोगों की नाराजगी पर काबू पाने की कोशिश कर रही है। लेकिन इस तरकीब ने एक नई परेशानी को जन्म दे दिया है, वो है चेहरों का कंफ्यूजन। जन आशीर्वाद यात्रा की कमान केंद्र के 4 दिग्गजों के जिम्में सौंपी गई है। प्रभारियों के तौर पर स्थानीय नेताओं को जगह दी गई है, लेकिन इस कवायद के चलते अब मंच पर बिखराव सीधे जनता के बीच नजर आ रहा है। जनता के जाने पहचाने चेहरों की बजाय बड़े नामों के सहारे नैया पार कराने की कोशिश नई गुटबाज़ी को जन्म देने का माद्दा रखती है।
वही गुटबाजी जिसके साथ कांग्रेस 2018 का चुनाव लड़ रही थी, आज भाजपा को परेशान कर रही है। ये गुटबाजी चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किल की स्थिति पैदा कर सकती है। गृहमंत्री अमित शाह ने रिपोर्ट कार्ड जारी किया तो ये खबर आग की तरह फैली कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान साइडलाइन कर दिए गए हैं और अब पूरा नियंत्रण अमित शाह का है। शाह से इसपर सवाल भी पूछा गया लेकिन वो बचते दिखे । उन्होंने कहा कि पार्टी का काम पार्टी पर छोड़ दीजिए। कांग्रेस ने भी इसे लेकर निशाना भी साधा था। इससे इतर, पार्टी हाई कमान ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 3 केंद्रीय मंत्रियों को भी मध्यप्रदेश में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है। लिस्ट में चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर, भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव का नाम है। सवाल ये उठता है कि यदि MP के चुनाव में BJP का केंद्रीय नेतृत्व ही सबकुछ करेगा तो 17 साल से मुख्यमंत्री के पद पर काबिज शिवराज सिंह चौहान की क्या भूमिका होगी ?
बड़ा सवाल यही है कि क्या चुनाव प्रचार से लेकर टिकट वितरण तक शिवराज सिंह चौहान को BJP साइडलाइन कर रही है? और यदि इसका जवाब हां है, तो चुनाव पर इसका कितना प्रभाव पड़ेगा ? क्या शिवराज के बिना भी भाजपा चुनाव जीत सकती है ? या BJP को इसका नुकसान भी झेलना पड़ सकता है। सियासी गलियारों में ये चर्चा गर्म है कि मोदी के चेहरे पर भाजपा विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। लेकिन आशंका ये है कि भाजपा को 1 से भले 2 का गणित कमजोर लग रहा है। संभवतः इसी लिए भाजपा केवल 1 चेहरा यानी मोदी के नाम पर चुनावी मैदान में हर चाल चल रही है।
जानकारों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व देशभर में गुजरात मॉडल लागू करने की कोशिश में है। इसके तहत जाने-माने नेताओं को छोड़कर छोटे कद के नेता पर दांव खेलने का कायदा है।कर्नाटक चुनाव में भी इसी की बानगी देखने को मिली थी, लेकिन पार्टी को बुरे तरीके से कर्नाटक में हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में गुजरात मॉडल पर सवालिया निशान भी खड़े होने लगे हैं। अगर पार्टी को मध्यप्रदेश में इसी तर्ज पर चलकर जीत हासिल नहीं हो पाती है तो गुजरात मॉडल की किरकिरी होना तय है। ये तो विधानसभा चुनाव के बाद ही साफ हो पाएगा कि पार्टी इस मॉडल को कितनी मजबूती से लागू करती है। लेकिन अगर ये लागू होता है तो शिवराज सिंह चौहान के लिए एक बड़ी मुसीबत हो सकती है।
केंद्रीय नेतृत्व लंबे वक्त से शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश से केंद्र की राजनीति की ओर शिफ्ट करने के लिए ज़ोर लगा रहा है, लेकिन शिवराज के कद के आगे अभी तक नेतृत्व के लिए ये बड़ी मुश्किल थी। अब जब बिना शिवराज के चेहरे के चुनाव लड़ा जा रहा है तो देखना दिलचस्प होगा कि शिवराज सिंह चौहान के साथ क्या किया जाता है। सवाल ये भी है कि शिवराज नहीं तो फिर कौन प्रदेश में भाजपा की बागडोर संभालेगा? इसके लिए चंद नाम चर्चा में जरूर हैं लेकिन किसी की दावेदारी शिवराज से ज्यादा मजबूत नहीं कही जा सकती। सीएम की कुर्सी की रेस में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर हैं, सिंधिया भी मजबूत दावेदार हैं। इनसे दबे लफ्ज़ों में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और कई राज्यों में चुनावी बागडोर संभालने वाले कैलाश विजयवर्गीय का भी नाम चल रहा है। अब देखना ये होगी कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व किसपर दांव खेलता है।
Tags:    

Similar News

-->