देवबंद: मथुरा, ज्ञानवापी और फिर कुतुब मीनार. देशभर में लागातर सामने आ रहे मजहबी मसलों के बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने 2 दिन का जलसा आयोजित किया. उत्तर प्रदेश के देवबंद में 28 मई से शुरू हुए इस जलसे का रविवार को आखिरी दिन है.
आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जलसे में कई अहम फैसले लिए जाने हैं. इन फैसलों के आधार पर ही वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर आगे की रूपरेखा तैयार की जाएगी. इसके अलावा जमीयत के उलेमा मथुरा और कुतुब मीनार जैसे विवाद में आए मसलों पर भी चर्चा करेंगे.
सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आज इस अधिवेशन में कॉमन सिविल कोड को लेकर भी प्रस्ताव आने की उम्मीद है. इसलिए आज का दिन बेहद खास माना जा रहा है. कल से लेकर आज तक जो भी प्रस्ताव इस कांफ्रेंस में लाए गए हैं, उन पर जमीयत की नेशनल गवर्निंग बॉडी अपनी मुहर लगाएगी और अल्पसंख्यक समुदाय और देश के लिए संदेश जारी किया जाएगा.
बता दें कि जलसे के पहले दिन इस्लामोफोबिया के खिलाफ लामबंद होने पर सहमति बनी थी. इस दौरान मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सरकार को भी घेरा था. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सकारात्मक संदेश देने के लिए धर्म संसद की तर्ज पर 1000 जगह सद्भावना संसद के आयोजन का ऐलान किया था.
जलसे में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद असद मदनी ने कहा था कि बेइज्जत होकर खामोश हो जाना कोई मुसलमानों से सीखे. उन्होंने आगे कहा था कि हम तकलीफ बर्दाश्त कर लेंगे, लेकिन देश का नाम खराब नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा था कि अगर जमीयत उलेमा शांति को बढ़ावा देने और दर्द, नफरत सहन करने का फैसला करता है तो ये हमारी कमजोरी नहीं, ताकत है.
मौलाना अरशद मदनी ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दो गुटों के मिलन के संकेत दिए थे. महमूद असद मदनी ने वर्तमान हालात को लेकर शायरी के साथ अपने संबोधन की शुरुआत की थी. इस दौरान वे भावुक भी हो गए थे. उन्होंने कहा था कि हमें हमारे ही देश में अजनबी बना दिया गया. महमूद असद मदनी ने अखंड भारत की बात पर भी निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि किस अखंड भारत की बात करते हैं? मुसलमानों के लिए आज राह चलना मुश्किल कर दिया है. ये सब्र का इम्तेहान है.