नई दिल्ली: जगदीप धनखड़ ने भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली.
जगदीप धनखड़ ने कानून की डिग्री लेने के लेने बाद वकालत शुरू कर दी और साल 1990 में उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट का ओहदा दिया गया. धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट से लेकर देश की कई हाईकोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस की है. साल 1988 तक वह देश के प्रतिष्ठित वकीलों में शुमार हो गए थे.
धनखड़ का राजनीतिक करियर करीब 30 वर्षों का है. साल 1989 में वह सक्रिय राजनीति में आए और इसी वर्ष 9वीं लोकसभा के लिए झुनझुनू से जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतकर पहली बार सांसद चुने गए. 1990 में वह चंद्रशेखर की सरकार में संसदीय कार्य मंत्री की जिम्मेदारी भी निभा चुके हैं. इसके बाद उन्होंने राजस्थान की राजनीति में भी हाथ आजमाए. 1993 से लेकर 1998 तक वह विधायक भी रहे.
केंद्र सरकार ने 20 जुलाई 2019 को धनखड़ को पश्चिम बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया था. अपने बयानों और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ '36 के आंकड़ों' के लिए वह लगातार सुर्खियों में रहे हैं. उनके और ममता बनर्जी के बीच खुलकर मतभेद नजर आए थे. पश्चिम बंगाल सरकार बतौर राज्यपाल जगदीप धनखड़ को राज्य के निजी विश्वविद्यालयों में 'अतिथि' या 'विजिटर' के तौर पर हटाने के लिए कानून में संशोधन करने के बाद उन्हें उस पद से हटा दिया था.