बता दें कि फिलहाल बंगाल विधानसभा का अधिवेशन साइन डाइ है. यानी विधानसभा के अध्यक्ष बिना राज्यपाल के अभिभाषण के विधानसभा की कार्यवाही शुरू कर सकते हैं, लेकिन राज्यपाल की ओर से विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करने के ऐलान के बाद विधानसभा अध्यक्ष बिना राज्यपाल के अभिभाषण के विधानसभा की कार्यवाही की शुरुआत नहीं कर सकते हैं.
बजट सत्र के पहले राज्यपाल के फैसले पर उठा सवाल
बता दें कि पश्चिम बंगाल का बजट सत्र अगले माह बुलाये जाने की संभावना है. ऐसी स्थिति में बजट सत्र के पहले राज्यपाल द्वारा विधानसभा का अधिवेशन स्थगित करने के फैसले पर सवाल किया जा रहा है. विधानसभा सूत्रों का कहना है कि विधानसभा की कार्यवाही के बाद प्रायः ही विधानसभा का सत्र स्थगित ही रहता है, लेकिन यह पहला अवसर है जब राज्यपाल ने सार्वजनिक रूप से बयान जारी कर विधानसभा का अधिवेशन तत्काल प्रभाव से स्थगित रखने का ऐलान किया है. वैसे बजट सत्र की शुरुआत बजट सत्र की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण के साथ ही होती है.
राज्यपाल के आदेश को लेकर फैला भ्रम
वरिष्ठ वकील अरुणाभ घोष ने कहा कि धारा 174 के तहत राज्यपाल को यह अधिकार है कि यह विधानसभा की कार्यवाही स्थगित कर सकता है. इसके लिए मंत्रिमंडल के सुझाव की जरूरत नहीं होगी. अब राज्यपाल की अनुमति के बिना विधानसभा का सत्र नहीं बुलाया जा सकता है. यदि राज्यपाल की अनुमति के लिए विधानसभा काअधिवेशन बुलाना है, तो इसके लिए कोर्ट की अनुमति लगेगी. हालांकि कई वक्ताओं का कहना है कि राज्यपाल को मंत्रिमंडल की अनुमति से ही काम करना होगा. बिना मंत्रिमंडल की अनमुति के राज्यपाल इस तरह का निर्देश नहीं दे सकता है.
टीएमसी ने आदेश को महत्व देने से किया इनकार
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि विधानसभा शुरू या स्थगित होने के बाद यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. संसदीय मंत्री ही इस बाबत राज्यपाल को सुझाव दिया था. उसके बाद ही राज्यपाल ही इस बाबत आदेश जारी किया है, लेकिन उनकी समस्या है कि वह प्रत्येक प्रशासनिक फैसले को ट्वीट कर सार्वजनिक कर देते हैं, जबकि प्रशासनिक मामले में कुछ गोपनीयता होती है.