हद है! परीक्षा में दिया गया 100 में से 101 नंबर, भड़के उम्मीदवार
युवाओं का गुस्सा फूटा.
इंदौर: 'एमपी अजब है, सबसे गजब है…' मध्य प्रदेश पर्यटन के एड-जिंगल यानी एक विज्ञापन की ये पंक्तियां अब कहावत-सी बन गई हैं. प्रदेश में आए दिन कुछ न कुछ ऐसा हो जाता है कि बरबस की लोगों के मुंह से निकल पड़ता है कि 'एमपी अजब है...' अब हाल ही में एक अजब मामला सामने आया है. इससे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे युवाओं का गुस्सा फूट पड़ा है.
दरअसल, राज्य की एक सरकारी भर्ती परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन यानी 'सामान्यीकरण' की प्रक्रिया अपनाए जाने के कारण एक उम्मीदवार को 100 में से 101.66 अंक मिल गए. इस पर सवाल उठाते हुए बेरोजगार युवाओं ने इंदौर में जबरदस्त प्रदर्शन किया. उन्होंने भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग भी की.
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कुछ आंदोलनकारी बेरोजगार युवा जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने एकत्र हुए और मुख्यमंत्री मोहन यादव को संबोधित एक ज्ञापन एक अधिकारी को सौंपा.
ज्ञापन में कहा गया कि वन और जेल विभागों की संयुक्त भर्ती परीक्षा 2023 में एक उम्मीदवार ने 100 में से 101.66 अंक हासिल किए और वह चयन सूची में टॉप स्थान पर रहा. भोपाल स्थित मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल की आयोजित इस परीक्षा का परिणाम 13 दिसंबर को घोषित किया गया.
परीक्षा परिणाम की घोषणा के साथ कर्मचारी चयन मंडल ने स्पष्ट किया कि इस भर्ती परीक्षा में नियमानुसार 'सामान्यीकरण' की प्रक्रिया अपनाई गई है जिसके फलस्वरूप उम्मीदवारों को पूर्णांक (100) से अधिक अंक और शून्य से कम अंक प्राप्त हो सकते हैं.
प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करने वाले गोपाल प्रजापत ने बताया, परीक्षा में एक उम्मीदवार का 100 अंकों के पेपर में से 101.66 अंक अर्जित करना न केवल आश्चर्यजनक है, बल्कि मध्यप्रदेश के परीक्षा इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है. इसके अलावा, ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि पहले दो टॉपर्स एक ही जिले, सतना से आए हैं, जिससे संदेह उत्पन्न होता है.
उन्होंने वन रक्षक, क्षेत्र रक्षक (कार्यपालिक) और जेल प्रहरी (कार्यपालिक) के पदों के लिए आयोजित भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की.
ग्वालियर और भोपाल केंद्र से भी कुछ विद्यार्थियों के टॉप करने को लेकर आवाज उठाई गई हैं. विद्यार्थियों ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि इस मामले की जांच की जाए और संबंधित सेंटरों की जांच कर वैधानिक कार्यवाही की जाए.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर इस मामले की जांच के जरिये दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई, तो राज्य के बेरोजगार युवाओं को बड़े आंदोलन पर मजबूर होना पड़ेगा.