क्रिकेट खेलते दिखे IPS नूरुल हसन, ट्विटर पर जारी किया VIDEO...

जानिए कौन है ये IPS अफसर

Update: 2023-08-13 12:50 GMT
नई दिल्ली। IPS नुरुल हसन ने आज अपने ट्विट्टर हैंडल पर क्रिकेट खेलते हुए एक वीडियो जारी किया है। आपको बता दें कि ये IPS नरुल हसन यूपी के पीलीभीत जिले के एक छोटे से गांव में पैदा हुए नुरुल हसन ने बचपन शायद ही सोचा होगा कि वो आगे चलकर आईपीएस अफसर बनेंगे। एक बेहद गरीब परिवार से आने वाले नूरुल ने अपने जीवन में बहुत संघर्ष देखा। लेकिन कहते हैं न कि, अगर जीवन में कुछ कर दिखाने का जज्‍बा हो तो व्यक्ति हर असंभव को संभव बना सकता है।
देखें IPS अफसर का VIDEO...
ये है आईपीएस नरुल हसन
पीलीभीत जिले के हररायपुर गांव के रहने वाले नुरुल हसन के परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू से ही बेहद खराब थी। बचपन में इनके पिता के पास नौकरी तक नहीं थी। हालांकि बाद में वे फोर्थ ग्रेड कर्मचारी की नौकरी मिली। वहीं मां घरेलू महिला थीं और नुरुल के दो छोटे भाई भी थे। जिसके कारण पूरे परिवार का पालन बहुत मुश्किल से होता था। नुरुल की प्रारंभिक पढ़ाई गांव में ही हुई। जब वो क्लास छह में थे तब जाकर उन्‍होंने अंग्रेजी का ए,बी,सी, डी… सीखा। यही कारण रहा कि उनकी अंग्रेजी शुरूआत में काफी कमजोर रही।
तंगहाली में बचपन गुजरने के बाद भी नुरुल हसन का मन पढ़ाई से नहीं भटका। नुरुल ने 10वीं में 67 प्रतिशत अंक प्राप्त करके अपने स्कूल में टॉप किया था। इसके बाद जब उनके पिता को नौकरी मिल गई, तो परिवार गांव छोड़, बरेली में शिफ्ट हो गया। बरेली से ही उन्होंने 12वीं किया। जहां 75 प्रतिशत अंक आए थे। बरेली में वो एक झुग्गी बस्ती में रहते थे। कठिन परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने या उनके परिवार ने कभी पढ़ाई बंद करने के बारे में नहीं सोचा। 12वीं के बाद नुरुल ने आईआईटी से बीटेक करने का फैसला किया, लेकिन उनके पास कोचिंग के लिए पैसे नहीं थे, तब उनके पिता ने कोचिंग के 35000 रुपये भरने के लिए गांव मे अपनी 1 एकड़ ज़मीन बेच दी। इससे मिले पैसों के द्वारा नुरुल ने कोचिंग की फीस भरी और पढ़ाई शुरू की। वहीं जमीन बेचने पर उनके परिवार को लोगों की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। लेकिन नुरुल ने सिर्फ अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र रहे। हालांकि उन्हें आईआईटी में एडमिशन नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की बीटेक प्रवेश परीक्षा पास कर ली थी।
इसके बाद उन्होंने यहां दाखिला लिया। एक इंटरव्यू में नुरुल ने बताया कि उनके पास कॉलेज की फीस भरने के भी पैसे नहीं थे इसीलिए उन्होंने बच्चों को फिजिक्स और केमिस्ट्री की ट्यूशन देना शुरू किया। ट्यूशन फीस में मिलने वाले पैसो के द्वारा उन्होंने अपने कॉलेज की फीस भरी। नुरुल कभी अपने जीवन में आई कठिनाइयों से घबराए नहीं बल्कि हर मुश्किल का हल निकाल कर आगे बढ़ते रहे।
यहां से पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्हें एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई। परन्तु एक साल में ही उन्हें ये आभास हो गया की वह प्राइवेट नौकरी के लिए नहीं बने है। ऐसे में उन्होंने भाभा एटोमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट की परीक्षा दी और उनका चयन तारापुर सेंटर में वैज्ञानिक के पद पर हुआ। यहां से सबकुछ ठीक चल रहा था। दोनों छोटे भाई पढ़ाई कर रहे थे और घर की स्थिति भी ठीक हो चली थी। लेकिन उनका मन यहां से भी उचट गया और वो यूपीएससी की ओर मुड़ गए। नुरुल में हमेशा से आगे बढ़ने की चाह रही, यही कारण था कि वे जीवन के संघर्षों को दरकिनार कर आगे बढ़ते रहे। वैज्ञानिक के तौर पर काम करने के दौरान नुरुल ने यूपीएसी के लिए अपना प्रयास आरम्भ कर दिया। पहले एटेम्पट में वह प्रीलिम्स परीक्षा भी पास नहीं कर पाए। इसके बाद और बेहतर तैयारी के साथ उन्होंने एक बार फिर परीक्षा दी और इस बार प्रीलिम्स और मेंस दोनों परीक्षा पास की हालांकि इंटरव्यू में 129 मार्क्स आने के कारण उनका चयन नहीं हुआ।
नुरुल ने इस असफलता से भी हार नहीं मानी और अपनी कमियों को सुधार कर 2014 में एक बार फिर से सिविल सेवा परीक्षा दी और इस बार उन्होंने ना सिर्फ परीक्षा पास की बल्कि इंटरव्यू में 190 मार्क्स हासिल कर आईपीएस बन गए। नुरुल हसन का यही मानना है कि व्यक्ति अपने हालातों को शिक्षा के द्वारा ही बदल सकता है। वह कहते हैं कि यदि उनके पिता ने उनकी शिक्षा के लिए ज़मीन नहीं बेची होती तो आज वह आईपीएस नहीं होते। नुरुल का कहना है कि उन्‍होंने अपने जीवन में सही मार्गदर्शन की कमी को महसूस किया है। 12वीं कक्षा तक उन्हें बीटेक के बारे में कुछ भी नहीं पता था। कमज़ोर आर्थिक स्थिति और परिवार में शिक्षा के अभाव के कारण उन्हें इन सब मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इसलिए वह अपने यूट्यूब चैनल - Freecademy द्वारा देश के लाखों बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं ताकि जिस परिस्थिति का सामना उन्हें करना पड़ा वह देश के किसी और युवा को ना करना पड़े।
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