9 और 25 तारीख को जांच शिविर का होगा आयोजन

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Update: 2023-08-25 14:21 GMT
भोपाल। गर्भावस्था में उच्च जोखिम की महिलाओं की जांच के लिए 25 अगस्त को एक्सटेंडेड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन एम्स चिकित्सालय में किया गया। जिसमें गर्भावस्था की दूसरी एवं तीसरी तिमाही की हाई रिस्क महिलाओं की जांच की गई। एम्स में आयोजित जागरूकता एवं जांच शिविर में गर्भावस्था के गंभीर लक्षणों की जानकारी दी गई। शुभारंभ कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी, उप संचालक, प्रशासन एम्स हॉस्पिटल, मेडिकल सुपरिटेंडेंट , स्त्री रोग विभाग की एचओडी उपस्थित रहे। अभियान के तहत एम्स चिकित्सालय में 9 और 25 तारीख को जांच शिविर आयोजित किए जाएंगे। एक्सटेंडेड प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में द्वितीय एवं तृतीय त्रैमास की उच्च जोखिम के लक्षणों वाली गर्भवती महिलाओं की जांच, परामर्श, उपचार, पैथोलॉजी जांच, सोनोग्राफी जांच की जाती है। यह अभियान नवंबर 2016 से प्रारंभ किया गया था। अभियान को विस्तार देते हुए प्रत्येक माह की 9 और 25 तारीख को यह अभियान आयोजित किया जा रहा है।
एम्स चिकित्सालय जैसे देश के प्रतिष्ठित संस्था के इस अभियान में शामिल होने से विशेषज्ञ जांच एवं उपचार सेवाओं का लाभ गर्भवती महिलाओं को मिल सकेगा। शिविर में स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कार्यकर्ता जैसे आशा, एएनएम द्वारा हाईरिस्क गर्भवती महिलाओं का चिन्हांकन कर उन्हें एम्स अस्पताल में जांच एवं उपचार हेतु लाया गया। शुभारंभ कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने कहा कि गर्भावस्था के गंभीर खतरों में गंभीर एनीमिया, उच्च रक्तचाप, डायबिटिज़ मेलीटस, रिएक्टिव एचआईवी, सिफलिस, हाइपरथाइरॉइड, टीबी, मलेरिया, पूर्व में ऑपरेशन द्वारा प्रसव इत्यादि लक्षणों वाली गर्भवती महिलाओं को चिह्नांकित किया जाता है। इन महिलाओं को विशेष चिकित्सकीय देखभाल एवं परामर्श की सेवाए प्रदान की जाती है। शिविर में विशेषज्ञीय चिकित्सकीय परामर्श के साथ हीमोग्लोबिन, यूरिन एल्ब्युमिन, शुगर, मलेरिया, टीबी, हेपेटाईटिस, ओरल ग्लूकोज़ टेस्ट, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, सिफलिस की जांच की गई। चिकित्सकीय परामर्श अनुसार सोनोग्राफी एवं थायराईड की जांच भी की गई। मातृ मृत्यु दर को न्यूनतम करने के लिए उच्च जोखिम की गर्भवती महिलाओं का सही समय पर चिह्नांकन किया जाना बेहद आवश्यक है। जिससे इन गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल एवं चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करवाई जा सके। हाईरिस्क महिलाओं की न्यूनतम 4 जांचों के साथ 3 अतिरिक्त जांचे की जाती हैं।
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