नई दिल्ली (आईएएनएस)| कोयला खदानों में ड्रोन तकनीक की शुरूआत की गई है। कोयला मंत्रालय के महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) ने कोयला खदानों में यह ड्रोन तकनीक की शुरूआत की है। इसके लिए एक वेब-आधारित पोर्टल विहंगम लॉन्च किया गया है। यह पोर्टल खान कर्मियों को खानों के पास 40 एमबीपीएस इंटरनेट लीज लाइन के माध्यम से वास्तविक समय के ड्रोन वीडियो का उपयोग करने में मदद करता है।
इसमें एक नियंत्रण केंद्र भी है, जो ड्रोन को संचालित करता है और खास बात यह है कि पूरी प्रणाली को कहीं से भी पोर्टल के माध्यम से संचालित किया जा सकता है। यह प्रायोगिक परियोजना वर्तमान में तालचेर कोलफील्ड्स की भुवनेश्वरी और लिंगराज ओपनकास्ट खदानों में शुरू की गई है।
कोयला मंत्रालय के मुताबिक वर्तमान में एमसीएल खनन प्रक्रिया के डिजिटलीकरण के उद्देश्य से पर्यावरण निगरानी, मात्रा माप तथा खदान की फोटोग्राममेट्रिक मैपिंग के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है।
एमसीएल ने रिकॉर्ड कोयला उत्पादन को और बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक को इस्तेमाल करने के अलावा, सुरक्षा मानकों को नवीनतम करने के उद्देश्य से आधुनिक उपकरणों के उपयोग को भी आगे बढ़ाया है। इसने हाल ही में अपने कोयला स्टॉकयार्ड में रोबोटिक नोजल वाटर स्प्रेयर तैनात किया है। कोयला कंपनियां कठिन और खतरनाक कार्य करने हेतु रोबोट की सहायता वाली अग्निशमन मशीन एवं धूल को नियंत्रित करने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग करती हैं।
यह उपकरण धुंध के रूप में 70 मीटर तक पानी का छिड़काव कर सकता है। नोजल को घुमावदार नोजल भी कहा जाता है, जो 28 किलोलीटर क्षमता के पानी के टैंकर पर स्थापित किया जाता है।
महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) ओडिशा के सुंदरगढ़, झारसुगुडा और अंगुल जिलों में कोयला खनन गतिविधियों में कार्यरत है, जो भारत में उत्पादित कुल कोयले में 20 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है।