अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन, वक्ता बोले, भारत एक बहुसांस्कृतिक व बहुधार्मिक देश

Update: 2023-09-03 16:22 GMT
वाराणसी। ऑथर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया, हिंदी विभाग, काशी हिन्दू विश्विद्यालय एवं सुलभ साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित 46वें वार्षिक अधिवेशन तथा अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हुआ। इस दौरान वक्ताओं ने देश की संस्कृति व धार्मिकता पर अपने विचार ऱखे। भारत को बहुसांस्कृतिक व बहुधार्मिक देश बताया। नार्वे से आए डा. सुरेशचंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' ने कहा कि भारत एक बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक देश है, इसलिए इसका राष्ट्रीय भाव-बोध अधिक सुदृढ़ है और यह विश्व के लिए चेतना का संचारण करता है। राष्ट्रीय चेतना के विकास में ग्राम स्वराज का योगदान’ विषय पर विचार रखते हुए डा. पंकज कुमार सोनी ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर चर्चा की। डॉ नलिनी सिंह ने ‘राष्ट्रीय चेतना के प्रसार में महर्षि दयानंद की भूमिका’ पर विचार रखे। सरिता यादव ने ‘स्वतंत्रता संग्राम में लेखिकाओं के अवदान’ पर चर्चा की। मॉरीशस से आई साम्यता ने ‘आचार्य चाणक्य की राष्ट्रीय चेतना’ विषय के अंतर्गत अपनी बात रखी।
पांचवें सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर रचना शर्मा और संचालन चैन्नई के डॉ. अशोक कुमार जैन’ ने किया। बीएचयू की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. किंगसन सिंह पटेल ने ‘स्त्री दर्पण' पत्रिका के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान’ पर विस्तृत चर्चा की। यशोधरा यशो यश ने ‘स्वातंत्र्य-पूर्व हिन्दी कविता में राष्ट्र की अवधारणा’ स्पष्ट किया। डा. सचिन मिश्रा ने राष्ट्रीय चेतना और छायावाद विषय पर चर्चा करते हुए, छायावादी कविता में निहित राष्ट्रीय चेतना पर बात रखी। सुरभि कुमारी ने स्वतंत्रता संग्राम के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में देशभक्ति विषय पर चर्चा की। अमित कुमारने नाटकों में राष्ट्रीय चेतना' विषय पर अपनी बात रखी। सत्र के अंतिम वक्ता दिव्या शुक्ला ने 'समकालीन हिन्दी गज़लों में राष्ट्रीय चेतना' पर बात की। समापन सत्र की अध्यक्षता पद्मश्री डॉ श्याम सिंह शशि ने की। छत्तीसगढ़ के पूर्व कुलपति प्रो. सदानंद शाही और प्रवासी संसार' के संपादक डॉ. राकेश पांडेय. प्रोफेसर सदानंद शाही, आयोजक मण्डल के डॉ अशोक कुमार ज्योति और ऑथर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया के महासचिव शिवशंकर अवस्थी को सफल कार्यक्रम के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया।
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