अंतर-मंत्रालयी पैनल भारत के निर्यात पर यूरोपीय संघ के कार्बन टैक्स प्रभाव का विश्लेषण कर रहा
भारत के निर्यात पर यूरोपीय संघ के कार्बन टैक्स प्रभाव
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने सोमवार को कहा कि एक अंतर-मंत्रालयी समूह इस्पात और एल्यूमीनियम जैसे कुछ सामानों पर कार्बन टैक्स लगाने के यूरोपीय संघ (ईयू) के फैसले पर गौर कर रहा है, क्योंकि इसका उस क्षेत्र में भारत के निर्यात पर कुछ प्रभाव पड़ेगा।
विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि सात ऐसी वस्तुएं हैं जिन पर ईयू ने कार्बन टैरिफ लगाया है।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि भारत के लिए इस्पात और एल्युमीनियम के केवल दो क्षेत्रों पर नए कर का असर पड़ने की संभावना है, जबकि बाकी के लिए प्रभाव न्यूनतम है क्योंकि भारत उन वस्तुओं को यूरोपीय संघ को निर्यात नहीं करता है।
"लेकिन यह निश्चित रूप से कुछ हद तक प्रभाव डालेगा। जिस हद तक इसे कम किया जा सकता है, जिस हद तक हमारा उद्योग अनुकूलन कर सकता है, जिस हद तक परीक्षण और प्रमाणन एजेंसियों की पारस्परिक मान्यता हो सकती है, ये सभी क्षेत्र हैं जिन पर अंतर-मंत्रालयी समूह समन्वय कर रहा है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने कहा कि वाणिज्य सचिव और कई अन्य सचिव उन तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं जिनसे इससे निपटा जा सकता है।
सारंगी ने कहा कि भारत पर इस फैसले के मौद्रिक प्रभाव की गणना के संदर्भ में अभी भी इसका आकलन किया जा रहा है।
एक उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ईयू ने इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस रूट और ब्लास्ट फर्नेस रूट के जरिए निर्मित स्टील पर टैक्स लगाने के लिए अलग-अलग तंत्र निर्धारित किए हैं। टैक्स दोनों तंत्र के लिए अलग होगा।
तो इन दो तरीकों से कितना स्टील बन रहा है, वो सेग्रिगेशन करना होगा और उसमें कुछ समय लगेगा।