एंबुलेंस ड्राइवर की संवेदनहीनता: रात 2 बजे बच्चे के शव को पैदल लेकर जा रहे थे दंपत्ति, पुलिस अफसर ने की मदद
जानें पूरा मामला।
निवाड़ी: मानवता को शर्मसार कर देने वाला घटनाक्रम मध्यप्रदेश के निवाड़ी (MP Niwari) में सामने आया है. यहां एक एंबुलेंस के चालक ने पूरा किराया न मिलने पर एक गरीब दंपति को उसके दम तोड़ चुके नवजात के साथ बीच रास्ते में ही आधी रात को सड़क किनारे छोड़ दिया. रात के भयावह सन्नाटे में मजबूर दंपति बेवश होकर रोते फिर रहे थे. सड़क पर फर्राटा भर वाहन निकलते जा रहे थे, लेकिन बेवश दंपत्ति की चीत्कार सुनने वाला कोई नहीं था. कुछ देर बाद पुलिस की एक गाड़ी रुकी और एक पुलिस अफसर इस दंपत्ति को मदद को आगे आया.
दरअसल, निवाड़ी जिले के मनेथा निवासी राजाराम कुशवाहा की पत्नी जसोदा बाई ने चार दिन पूर्व एक शिशु को जन्म दिया था. बच्चे का स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण उसका पृथ्वीपुर के अस्पताल में इलाज चल रहा था. बेहतर इलाज के लिए बच्चे को पृथ्वीपुर से झांसी रेफर कर दिया गया. झांसी में बच्चे ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया और अस्पताल प्रबंधन ने उसे घर ले जाने के लिए कह दिया. यहां से पीड़ित मां-बाप के लिए चुनौती भरा सफर शुरू हो गया.
एक पिता अपनी गोद में शॉल में लिपटे मृत बच्चे को लेकर झांसी से घर जाने के लिए निकला. पिता की जेब में सिर्फ 1050 रुपये थे, जबकि मनेथा गांव तक जाने के लिए एक प्राइवेट एंबुलेंस चालक (Ambulance driver) ने 20 हजार रुपये मांगे थे. आधा किराया होने के कारण एंबुलेंस चालक ने उन्हें आधे रास्ते यानी पृथ्वीपुर में ही उतार दिया और वहां से चला गया. रात दो बजे एक महिला और उसका पति अपने दम तोड़ चुके बच्चे को गोद में लिए पैदल-पैदल ही अपने गांव मनेथा जाने लगा.
इसी बीच रात्रि गस्त कर रहे पृथ्वीपुर एसडीओपी संतोष पटेल, चालक कुमार शानू व गन मैन पंकज यादव रास्ते में मिल गए. SDOP ने पूरी बात पूछी और इसके बाद उन्हें उनके घर मनेथा तक पहुंचाया. बता दें कि यह वाकया बुधवार की रात का है. दंपति जब वाहन का इंतजार कर रहे थे, तब उनकी जेब में सिर्फ 1050 रुपये थे. प्राइवेट एंबुलेंस चालक ने आधी रात को उन्हें पूरा किराया न मिलने पर बीज रास्ते में उतार दिया था. दंपत्ति सुनसान रास्ते में गोद में बच्चे का शव लेकर पैदल ही गांव जा रहे थे, उसी दौरान पुलिस वाहन मिल गया. SDOP संतोष पटेल ने उन्हें घर तक पहुंचाया.