मैसूर। कर्नाटक के पलार बम विस्फोट मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन का साथी ज्ञान प्रकाश को मंगलवार सुबह यहां मैसूर सेंट्रल जेल से जमानत पर रिहा कर दिया गया। उच्चतम न्यायालय ने 26 नवंबर को फेफड़े के कैंसर से पीड़ित ज्ञान प्रकाश को मानवीय आधार पर जमानत दी थी। शीर्ष अदालत के आदेश के अनुसार, अधिवक्ता बाबूराज ने ज्ञान प्रकाश की रिहाई की अनुमति देने के लिए चामराजनगर जिला सत्र न्यायालय में आवेदन किया था। सोमवार को अदालत ने दोनों से जमानत और पांच लाख रुपये का मुचलका हासिल किया। बाद में, अदालत ने सेंट्रल जेल के मुख्य अधीक्षक को ज्ञान प्रकाश को रिहा करने का आदेश दिया। गौरतलब है कि राज्य के चामराजनगर जिले के हनूर तालुक में मरतल्ली संदनपाल्या के ज्ञानप्रकाश वीरप्पन, साइमन, बिलावेंद्रन व मीसेकारा मदैया के साथ 1993 के पलार बम विस्फोट मामले में शामिल थे और उन्हें टाडा अधिनियम के तहत 1997 में मैसूर की टाडा अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।
वर्ष 2014 में, शीर्ष अदालत ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। वीरप्पन की 18 अगस्त 2004 को मुठभेड़ में मौत हो गई जबकि साइमन व बिलवेंद्रन का कुछ साल पहले मृत्यु हो गयी। केवल मदैया और ज्ञानप्रकाश अभी जीवित हैं। पिछले 29 साल से बेलगावी की हिंदलगा और मैसूर की जेलों में बिताने वाले 68 वर्षीय ज्ञान प्रकाश डेढ़ साल से फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित है। उसका इलाज बेंगलुरु के किदवई में चल रहा है। वकील विक्रम और भारती ने ज्ञान प्रकाश को जमानत पर रिहा करने के लिए शीर्ष अदालत में अर्जी दाखिल की। मामले की सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने रिहाई का आदेश दिया। ज्ञानप्रकाश को अपना सामान और कटहल के पौधे के साथ जेल से बाहर आते देख भाइयों एंथनी और थॉमस सहित रिश्तेदार भावुक हो गए।
गौरतलब है कि पालर, महाडेश्वर पहाड़ी से सटा एक गाँव है। वीरप्पन ने इस इलाके में अपनी कर्मभूमि बना रखी थी। नौ अप्रैल, 1993 को वीरप्पन के साथियों ने तत्कालीन तमिलनाडु एसटीएफ प्रमुख गोपालकृष्ण और उनकी टीम पर हमला करने की योजना बनाई। वीरप्पन के साथियों ने पलार के पास सोरकाईपट्टी के पास एक बारूदी सुरंग लगा दी। गोपालकृष्ण सहित एक विशेष टीम मुखबिरों के साथ तमिलनाडु सीमा के पास पलार गई थी। साइमन द्वारा विस्फोट किए गए बारूदी सुरंग विस्फोट के कारण 22 पुलिसकर्मी मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। घटना के बाद वीरप्पन सहित 124 साथियों के खिलाफ बम विस्फोट के सिलसिले में मामला दर्ज किया गया था। तत्कालीन एसटीएफ प्रमुख शंकर बिदरी ने वीरप्पन को पकड़ने के लिए अपनी टीम के साथ मलाई महाडेश्वर पहाड़ी के आसपास अभियान तेज कर दिया और तीन महीने बाद वीरप्पन के सहयोगियों मीसेकारा मडैया, ज्ञान प्रकाश, साइमन और बिलवेंद्रन को गिरफ्तार कर लिया गया।