उद्योगपति रतन टाटा का आज जन्मदिन, 85 साल के हुए

Update: 2022-12-28 01:31 GMT

दिग्गज भारतीय उद्योगपति Ratan Tata आज 85 साल के हो गए. उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 में मुंबई में हुआ था. एक सफल बिजनेसमैन, दरियादिल इंसान रतन टाटा बेहद शांत स्वाभाव के हैं, लेकिन उनसे जुड़ा एक किस्सा ऐसा भी जो किसी से बदला लेने के मामले में एक मिसाल कायम करता है. दरअसल, उन्होंने Ford Motors के चेयरमैन से अपने अपमान का बदला बड़े ही दिलचस्प अंदाज में लिया था.

ये बात साल, 90 के दशक की है, जब TATA Sons के चेयरमैन रहते हुए रतन टाटा (Ratan Tata) के नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने अपनी कार टाटा इंडिका (Tata Indica) तो लॉन्च किया था. लेकिन, उस समय टाटा की कारों (Tata Car's) की सेल उस हिसाब से नहीं हो पा रही थी, जैसा रतन टाटा ने सोचा था. टाटा इंडिका को ग्राहकों का खराब रिस्पांस मिलने और लगातार बढ़ते घाटे के चलते ऐसा समय आया कि उन्होंने पैसेंजर कार डिवीजन (Passenger Car Business) को बेचने का ही फैसला कर लिया. इसके लिए उन्होंने अमेरिकन कार निर्माता कंपनी Ford Motors से बात की थी.

जब रतन टाटा ने अपने पैसेंजर कार बिजनेस को Ford Motors को बेचने का फैसला किया. तो लग्जरी कार निर्माता कंपनी Ford के चेयरमैन Bill Ford ने उनका मजाक उड़ाया था. फोर्ड ने अपमान करते हुए कहा था, 'तुम कुछ नहीं जानते, आखिर तुमने पैसेंजर कार डिविजन क्यों शुरू किया? अगर मैं ये सौदा करता हूं तो ये तुम्हारे ऊपर बड़ा एहसान होगा.' फोर्ड चेयरमैन के ये शब्द रतन टाटा के दिन में तीर की तरह लगे. लेकिन उनके चेहरे पर ये भाव नहीं आए और उन्होंने शालीनता से बिल फोर्ड की बात सुनने के बाद मन ही मन बड़ा फैसला कर लिया. अमेरिका में अपमानित होने के बाद Ratan Tata ने कार डिविजन को बेचने का निर्णय टाल दिया और Bill Ford को ऐसा सबक सिखाया, जिसकी उसने कल्पना नहीं की थी.

अपने अपमान के बाद भी रतन टाटा शांत रहे और उन्होंने कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं की. उसी रात वे मुबंई के लिए वापस लौट आए. उन्होंने इस अपमान को लेकर कभी किसी से कोई जिक्र नहीं किया, बल्कि अपना पूरा ध्यान कंपनी के कार डिविजन को बुलंदियों पर पहुंचाने में लगा दिया. उनकी मेहनत रंग लाई और करीब नौ साल बाद यानी 2008 में उनकी टाटा मोटर्स दुनिया भर के मार्केट में छा चुकी थी और कंपनी की कारें वेस्ट सेलिंग कैटेगरी में सबसे ऊपर आ गई थीं.

एक ओर जहां TATA Motors रतन टाटा के नेतृत्व में आसमान की बुलंदियां छू रही थी. तो वहीं इस अवधि में बिल फोर्ड के नेतृत्व वाली Ford Motors की हालत पतली हो चुकी थी. डूबती फोर्ड कंपनी को उबारने के लिए रतन टाटा आगे आए, लेकिन उनका ये कदम अपने उस अपमान का बदला लेने का एक जोरदार तरीका था, जो फोर्ड चेयरमैन ने किया था. दरअसल, जब फोर्ड बड़े नुकसान में थी तो 2008 में ही टाटा चेयरमैन रतन टाटा ने चेयरमैन को उनकी कंपनी की सबसे लोकप्रिय जैगुआर और लैंड रोवर ब्रांड को खरीदने का ऑफर दे डाला. इस सौदे के लिए रतन टाटा को अमेरिका नहीं जाना पड़ा, बल्कि उनका अपमान करने वाले बिल फोर्ड को खुद अपनी पूरी टीम के साथ मुंबई आना पड़ा.


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