बॉर्डर पर भारत की सुरक्षा और होगी मजबूत, S-400 मिसाइल सिस्टम की अगले महीने करेगी तैनाती
भारतीय वायुसेना के पंजाब के एक एयरबेस पर एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम (S-400 Triumf missile systems) की पहली रेजिमेंट की तैनाती फरवरी तक पूरी करने की संभावना है.
भारतीय वायुसेना के पंजाब के एक एयरबेस पर एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम (S-400 Triumf missile systems) की पहली रेजिमेंट की तैनाती फरवरी तक पूरी करने की संभावना है. सैन्य अधिकारियों ने आज शनिवार को जानकारी देते हुए कहा कि मिसाइल सिस्टम की तैनाती की प्रक्रिया शुरू हो गई है और तैनाती को पूरा करने में कम से कम छह सप्ताह और लगेंगे.
मिसाइल सिस्टम की पहली रेजिमेंट को इस तरह से तैनात किया जा रहा है कि यह उत्तरी क्षेत्र में चीन के साथ सीमा के कुछ हिस्सों के साथ-साथ पाकिस्तान के साथ सीमा को भी कवर कर सके. एक अधिकारी ने कहा, "मिसाइल सिस्टम के विभिन्न महत्वपूर्ण घटकों के साथ-साथ इसके परिधीय उपकरणों को तैनाती स्थल तक पहुंचाने का काम चल रहा है." कुल मिलाकर भारत को रूस से S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की पांच इकाइयां मिलेंगी.
S-400 सिस्टम के लिए रूस के साथ करार
अक्टूबर 2018 में, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बावजूद कि करार के साथ आगे बढ़ने पर अमेरिकी प्रतिबंधों को आमंत्रित किया जा सकता है, भारत ने S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ 5 बिलियन अमेरिकी डालर के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे.
क्या भारत पर प्रतिबंध लगाएगा अमेरिका?
हालांकि जो बाइडेन प्रशासन ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद के लिए काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) के प्रावधानों के तहत भारत पर प्रतिबंध लगाएगा या नहीं.
CAATSA, जिसे 2017 में लाया गया था, रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ लेन-देन में लगे किसी भी देश के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान करता है. अमेरिका पहले ही रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के एक बैच की खरीद के लिए CAATSA के तहत तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है.
S-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर तुर्की पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद, ऐसी आशंकाएं थीं कि वाशिंगटन भारत पर इसी तरह के दंडात्मक उपाय लागू कर सकता है. रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पिछले महीने कहा था कि भारत और रूस के बीच एस-400 मिसाइल रक्षा सौदे का भारतीय रक्षा क्षमता के लिए बहुत महत्वपूर्ण अर्थ है और इसे अमेरिका द्वारा सहयोग को "कमजोर" करने के प्रयास के बावजूद लागू किया जा रहा है. हालांकि भारत और रूस के बीच S-400 की डील से चीन पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों की नींद उड़ी है.