भारत की चल रही बड़ी तैयारी, एंटी शिप ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण
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नई दिल्ली: भारतीय नौसेना (Indian Navy) और अंडमान एवं निकोबार कमांड (Andaman and Nicobar Command - ANC) ने मिलकर 27 अप्रैल 2022 को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BrahMos Supersonic Cruise Missile) के एंटी-शिप वर्जन का सफल परीक्षण किया. कमांड ने एक ट्वीट करके यह जानकारी सार्वजनिक की है. इस परीक्षण का मकसद यह था कि क्या हम युद्ध के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.
अंडमान एवं निकोबार कमांड देश का इकलौता ऐसा कमांड है, जहां देश की तीनों सेनाओं का संचालन एकसाथ किया जाता है. ट्वीट में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि भारतीय नौसेना और ANC ने एक बार फिर अपने कॉम्बैट रेडीनेस को दिखाने के लिए समुद्र में मौजूद टारगेट को ब्रह्मोस मिसाइल के एंटी-शिप वर्जन से नष्ट कर दिया. 19 अप्रैल को भारतीय वायुसेना ने सुखोई-30MKI फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया था.
पिछले महीने भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में मौजूद देश के पहले स्टेल्थ विध्वंसक INS विशाखापट्टनम से ब्रह्मोस के अत्याधुनिक वर्जन का सफल परीक्षण किया था. ब्रह्मोस मिसाइल देश के दो या तीन मिसाइलों में से एक है, जो जमीन, फाइटर जेट, पनडुब्बी और जंगी जहाज से चलाया जा सकता है. ब्रह्मोस मिसाइल का एंटी-शिप वर्जन 2.8 मैक यानी 3457.44 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ती है.
अब जानना ये जरूरी है कि एंटी-शिप वैरिएंट कितने प्रकार के होते हैं. आपको पहले बता देते हैं कि ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की सबसे तेज एंटी-शिप क्रूज मिसाइल है. एंटी-शिप वैरिएंट में पहला है ब्लॉक-1 (सरफेस लॉन्च्ड) यानी युद्धपोत से दागी जाने वाली एंटी-शिप वैरिएंट. ये वैरिएंट देश के कई युद्धपोतों में तैनात है. भारतीय नौसेना (Indian Navy) ने राजपूत क्लास डेस्ट्रॉयर INS Ranvir और INS Ranvijay में 8 ब्रह्मोस मिसाइलों वाला लॉन्चर लगा रखा है.
तलवार क्लास फ्रिगेट INS Teg, INS Tarkash और INS Trikand में 8 ब्रह्मोस मिसाइलों वाला लॉन्चर तैनात है. शिवालिक क्लास फ्रिगेट में भी ब्रह्मोस मिसाइल फिट है. कोलकाता क्लास डेस्ट्रॉयर में भी यह तैनात है. INS Visakhapatnam में सफल परीक्षण हो चुका है. इसके बाद भारतीय नौसेना नीलगिरी क्लास फ्रिगेट में भी इस मिसाइल को तैनात करेगी.
दूसरा है जमीन से लॉन्च किया जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट, जिसे सेना में शामिल किए जाने की तैयारी चल रही है. 27 अप्रैल 2022 को अंडमान से लॉन्च की गई ब्रह्मोस मिसाइल इसी श्रेणी में आती है. तीसरा है हवा से दागी जाने वाली एंटी-शिप ब्रह्मोस मिसाइल. यह देश के कई फाइटर जेट्स में लगाई जा चुकी है. हाल ही में सुखोई फाइटर जेट से इसका परीक्षण भी किया गया था. चौथा है पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली एंटी-शिप ब्रह्मोस मिसाइल.
ब्रह्मोस के एंटी-शिप वर्जन के आधुनिक संस्करण की रेंज को बढ़ाया गया है. पहले 290 किलोमीटर तक मार कर सकती थी, जिसे अब बढ़ाकर 350 किलोमीटर कर दिया गया है. पहले जानते हैं ब्रह्मोस मिसाइल (BrahMos Missile) के समुद्री वैरिएंट्स के बारे में... समुद्र से दागने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल के चार वैरिएंट्स हैं. पहला- युद्धपोत से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट, दूसरा युद्धपोत से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट. ये दोनों ही वैरिएंट भारतीय नौसेना में पहले से ऑपरेशनल हैं. तीसरा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट. सफल परीक्षण हो चुका है. चौथा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट.
युद्धपोत से लॉन्च किए जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल 200 किलोग्राम वॉरहेड ले जा सकती है. यह मिसाइल मैक 3.5 तक की अधिकतम गति हासिल कर सकती है. यानी 4321 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार. इसमें दो स्टेज का प्रोप्लशन सिस्टम लगा है. पहला सॉलिड और दूसरा लिक्विड. दूसरा स्टेज रैमजेट इंजन (Ramjet Engine) है. जो इसे सुपरसोनिक गति प्रदान करता है. साथ ही ईंधन की खपत कम करता है.
ब्रह्मोस मिसाइल हवा में ही मार्ग बदलने में सक्षम है. चलते-फिरते टारगेट को भी ध्वस्त कर सकता है. यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हैं, यानी दुश्मन के राडार को धोखा देना इसे बखूबी आता है. सिर्फ राडार ही नहीं यह किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है. इसको मार गिराना लगभग अंसभव है. ब्रह्मोस मिसाइल अमेरिका के टॉमहॉक मिसाइल की तुलना में दोगुनी अधिक तेजी से वार करती है. यह मिसाइल 1200 यूनिट की ऊर्जा पैदा करती है, जो किसी भी बड़े टारगेट को मिट्टी में मिला सकता है.