भारत की पहली महिला पायलट, साड़ी पहनकर किया था एयरक्राफ्ट, पढ़े पूरी खबर
भारत की पहली महिला पायलट
सिर्फ 21 साल की उम्र में Sarla Thukral ने एक पारंपरिक साड़ी पहने अपनी पहली एकल उड़ान के लिए एक छोटे से दो पंख वाले विमान के कॉकपिट में कदम रखा था.
भारत की पहली महिला पायलट
अंग्रेजों के जमाने में आज से 85 साल पहले सरला ठकराल साड़ी पहन कर फ्लाइट उड़ाने वाली महिला पायलट थी। सरला ठकराल भारत की पहली महिला हैं जिन्हें एयरक्राफ्ट उड़ाने का रुतबा हासिल है। 8 अगस्त को उनकी 107वीं जयंती पर गूगल ने उनका डूडल बनाकर उन्हें याद किया है। साल 1936 में सिर्फ 21 साल की उम्र में सरला ठकराल ने एविएशन पायलट का लाइसेंस हासिल कर लिया था। लाहौर फ्लाइंग क्लब के एयरक्राफ्ट में Sarla Thukral ने इस शुरुआती लाइसेंस के दम पर 1000 घंटे का फ्लाइंग अनुभव कमाया था।
लाहौर में हुई शादी
सरला ठकराल ब्रिटिश राज के दौर में साल 1914 में 8 अगस्त को भारत में पैदा हुई। 16 साल की उम्र में सरला ठकराल की शादी हो गई थी। अपने पति के परिवार के साथ Sarla Thukral लाहौर में रहने चली गई। उनके पति पीडी शर्मा का पूरा परिवार ही पायलट था। उनके परिवार में कुल 9 लोग एयरक्राफ्ट उड़ाते थे। कैप्टन शर्मा को लाहौर से कराची की फ्लाइट उड़ानी होती थी। पत्नी की फ्लाइंग में दिलचस्पी देखकर सरला ठकराल के पति ने उन्हें इस प्रोफेशन को चुनने के लिए उत्साहित किया।
पति के निधन के बाद वापसी
साल 1939 में सरला ठकराल के पति की फ्लाइट क्रैश में मृत्यु हो गई। जोधपुर में उस समय पीडी शर्मा फ्लाइट क्रैश में मारे गए। सिर्फ 24 साल की उम्र में ही सरला ठकराल विधवा हो गई। उसके बाद उन्होंने कमर्शियल पायलट बनने का अपना सपना छोड़ दिया। उसके बाद सरला ठकराल लाहौर लौट गई और मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स ज्वाइन कर उन्होंने फाइन आर्ट्स में डिप्लोमा लिया।
दिल्ली आईं सरला ठकराल
साल 1947 में भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद सरला ठकराल अपनी दो बेटियों के साथ दिल्ली आ गई। दिल्ली आने के बाद सरला ठकराल ने ज्वैलरी मेकिंग, साड़ी डिजाइनिंग, पेंटिंग और नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के लिए डिज़ाइन किया। उनके ग्राहकों में विजय लक्ष्मी पंडित भी शामिल थी
सरला बनी उद्यमी
सरला ठकराल ने दिल्ली आकर कॉस्टयूम ज्वेलरी डिजाइन करना शुरू किया। उस समय देश की प्रबुद्ध महिलाएं कॉस्टयूम ज्वैलरी ही पहनती थी। इसके साथ ही सरला ठकराल ने कॉटेज एंपोरियम को 15 साल तक ज्वेलरी की सप्लाई की। उसके बाद सरला ब्लॉक प्रिंटिंग और साड़ी डिजाइनिंग करने लगी। यह काम भी sarla ने 15 साल तक किया। इसके बाद सरला ठकराल ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के लिए पेंटिंग की और वह जीवन भर एनएसडी के लिए पेंटिंग करती रही।