मेरठ न्यूज़: कोरानाकाल हो या फिर रूस और यूके्रन के बीच चल रहा युद्ध। खमियाजा किसी न किसी रुप में पूरी दुनिया को उठाना पड़ रहा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। यदि निर्यात की दृष्टि से देखें तो रूस यूक्रेन युद्ध के चलते भारतीय औषधि बाजार ठंडा पड़ा है। निर्यात के मामले में अमूमन लम्बी जंप मारने वाला भारतीय औषधि बाजार इस बार हल्का है। निर्यात की आर्थिक दर में भले ही वृद्धि दर्ज की गई हो, लेकिन निर्यात का वैश्विक स्तर अपेक्षाकृत कम दमदार दिखा। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में जो औषधि का निर्यात है वो चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर 2022 तक लगभग सवा चार प्रतिशत बढ़ा तो जरुर है, लेकिन यह अपनी रफ्तार को हासिल नहीं कर पाया। इसकी मुख्य वजह रूस और यूक्रेन के बीच चले आ रहे युद्ध को भी माना जा रहा है।
इसके अलावा कोरोनाकाल का भी इस मार्केट पर खासा असर पड़ा है। विश्व भर के कई देशों में लम्बे लॉकडाउन के चलते भारत से निर्यात होने वाली विभिन्न दवाईयों का बाजार हल्का रहा है। भारतीय औषधि निर्यात संवर्द्धन परिषद् के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में मार्च से लेकर अक्टूबर तक सिर्फ 4.22 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में जो निर्यात औषधियों का जो निर्यात 13.98 अरब डॉलर था वो इस बार 14.57 अरब डॉलर तक ही पहुंच पाया है। वृद्धि भले ही दर्ज की गई हो, लेकिन वृद्धि की रफ्तार अपेक्षाकृत धीमी है। इसके साथ साथ वैक्सीन अथवा टीके की श्रेणी में होने वाले निर्यात में भी स्थिति खराब है। इसकी मुख्य वजह कोरोनाकाल के साथ साथ रूस और यूक्रेन के बीच लम्बा खिंच रहा युद्ध भी है। कुल मिलाकर भारतीय औषधि बाजार को वैक्सीन की वो डोज नहीं मिल पाई जिसकी उसे जरूरत थी।