चीन-पाकिस्तान सीमा पर भारतीय सेना होगी और मजबूत, नई इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल खरीदने की तैयारी, पढ़े पूरी डिटेल्स
चीन-पाकिस्तान सीमा पर मौजूदा हालात और भविष्य की चुनौतियों को लेकर भारतीय सेना खुद को और मजबूत बनाने में जुटी हुई है. इसी क्रम में अब भारतीय सेना 1980 के दशक में खरीदे गए लड़ाकू वाहनों को बदलने के लिए नई इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल खरीदने की तैयारी कर रही है. इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल को लड़ाई और युद्ध जैसी स्थिति में पैदल सेना को दुश्मन देश से बचाने और उनके करीब ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह भारी हथियारों से लैस होता है.
आधुनिक इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल खरीदे जाने के बाद इन्हें चीन सीमा पर सिक्किम और लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा जिससे वहां सेना की ताकत में और इजाफा हो जाएगा. इस कॉम्बैट व्हीकल से ऊंचाई वाले क्षेत्रों और दुर्गम इलाकों में सैनिकों की तेजी से तैनाती सुनिश्चित होगी.
इसके लिए सेना की तरफ से 1750 Futuristic Infantry Combat Vehicles यानी FICV खरीदने के लिए रुचि पत्र (शुरुआती टेंडर) जारी कर दिया गया है. जो भी कंपनी सेना की जरूरतों और उम्मीदों पर खरी उतरेगी उन्हें इन वाहनों की आपूर्ति का ठेका दिया जाएगा.
सूत्रों के मुताबिक 1750 इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल में से 55% वाहनों को भारी बंदूकों से लैस किया जाएगा जबकि बाकी वाहनों को अलग-अलग परिस्थितियों के लिए विशेषज्ञता के साथ तैयार किया जाएगा.
सेना के अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सेना ने 23 जून को 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' कार्यक्रमों के तहत अपने फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (ट्रैक) के लिए सूचना पत्र (RFI) प्रकाशित किया है. इस परियोजना में भाग लेने के लिए इच्छुक कंपनियों को एक सप्ताह के भीतर जानकारी देने के लिए कहा गया है.
इन वाहनों की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए सेना ने तीन चरणों वाला मॉडल प्रस्तावित किया है जिसके मुताबिक इसके लिए भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों के साथ साझेदारी कर सकती है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि ठेका मिलने के दो साल के भीतर हर साल 75-100 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल (से एफआईसीवी) सेना को मिल सके.
लद्दाख गतिरोध के बीच भारतीय सेना नया इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल मिलने के बाद मौजूदा वक्त में तैनात रूसी लड़ाकू वाहनों (BMP) से बदल देगी. बता दें कि रक्षा मंत्रालय द्वारा इस खरीद को 2009 में ही मंजूरी मिल गई थी लेकिन सरकारी दफ्तरों में फाइलों के अटके रहने की वजह से इसमें इतने सालों की देरी हो गई.
अब लद्दाख में चीन के साथ सैन्य तनाव और खींचतान के बाद मौजूदा चुनौतियों के मद्देनजर सेना को उम्मीद है कि इस परियोजना में तेजी लाई जाएगी और उन्हें जल्द से जल्द नया इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल मिल जाएगा.