28 मार्च को अंतरिक्ष में भारत भेजेगा 'तीसरी आंख', बॉर्डर पर रहेगी नजर

भारत 28 मार्च को एक सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना है।

Update: 2021-03-07 15:23 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: नई दिल्ली: भारत 28 मार्च को एक सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना है। ये सैटेलाइन कई मायनों में बेहद अहम बताया जा रहा है। इस सैटेलाइट की मदद से बॉर्डर एरिया की तस्वीरें मिल जाएंगी। इससे न केवल दुश्मनों की हर चाल का पर्दाफाश होगा बल्कि मौसम संबंधित आपदाओं को भी मॉनीटर किया जा सकेगा। जीसैट-1 आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केन्द्र से जीएसएलवी-एफ 10 के जरिये लॉन्च किया जायेगा।

मौसम पर निर्भर होगी सैटेलाइट की लॉन्चिंग
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एक अधिकारी ने रविवार को को बताया, 'हम 28 मार्च को इस जियो इमेजिंग उपग्रह को प्रक्षेपित करना चाहते हैं, हालांकि यह मौसम की स्थितियों पर निर्भर करेगा।' यह उपग्रह 36,000 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। जीएसएलवी-एफ 10 के जरिये जीसैट-1 का प्रक्षेपण तकनीकी कारणों के चलते स्थगित कर दिया गया है। इसका प्रक्षेपण पिछले साल पांच मार्च को होने वाला था।
लेटेस्ट टेक्लनॉलजी से लैस है सैटेलाइट
अंतरिक्ष विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'यह भारत के लिए कुछ मायने में महत्वपूर्ण साबित होने जा रहा है।' उन्होंने कहा, 'उच्च स्तर के कैमरों के साथ, इस उपग्रह से भारतीय जमीन और महासागरों, विशेष रूप से इसकी सीमाओं की निरंतर निगरानी की जा सकेगी।' यह प्राकृतिक आपदाओं और किसी भी अल्पकालिक घटनाओं की त्वरित निगरानी में मदद करेगा। इसरो ने कहा कि जीसैट-1 का वजन 2,268 किलोग्राम है और यह एक अत्याधुनिक पर्यवेक्षण उपग्रह है।
इसरो ने किया था सफल प्रक्षेपण
इसरो ने 28 फरवरी को अपनी कॉमर्शियल यूनिट 'न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड' (एनसिल) के पहले समर्पित मिशन के तहत रविवार को ब्राजील के अमेजोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों का पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) सी-51 के जरिए यहां श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया था। इन 18 उपग्रहों में से पांच उपग्रह छात्रों द्वारा निर्मित हैं।
कोरोना के कारण विलंब हुआ
अंतरिक्ष विभाग में सचिव और इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने पिछले सप्ताह कहा था कि जिन तकनीकी मुद्दों के कारण जीसैट-1 मिशन को स्थगित कर दिया था, उसका समाधान हो गया है । कोविड-19 के कारण लगाये लॉकडाउन की वजह से सामान्य कामकाज प्रभावित होने से इसके प्रक्षेपण में और विलंब हुआ।


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