भारत ने इमरजेंसी प्रोक्योरमेंट के तहत रूस से 70 हजार एके-103 राइफल खरीदने का करार किया है. ये करार रक्षा मंत्रालय ने देश की सशस्त्र सेनाओं के लिए किया है, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें ज्यादातर राइफल भारतीय वायुसेना को दी जाएंगी.
करार के बारे में रक्षा मंत्रालय या फिर रूस की तरफ से आधिकारिक तौर से कोई जानकारी नहीं दी गई है. लेकिन सूत्रों ने को बताया कि ये सौदा कैपिटल-बजट से नहीं बल्कि सरकार द्वारा रक्षा बजट में शामिल किए गए इमरजेंसी फंड से किया गया है. पिछले दो सालों से रक्षा बजट में इमरजेंसी फंड का प्रवधान किया गया है. अभी इस बारे में साफ-साफ जानकारी नहीं मिल पाई है कि इन रूसी एके 103 राइफल्स की डिलीवरी कब तक भारत को मिल पायेगी. लेकिन सूत्रों ने साफ किया कि क्योंकि ये इमरजेंसी में सीधे खरीदी जाएंगी तो डिलीवरी निश्चित तौर से जल्दी हो पायेगी.
दरअसल, भारत ने वर्ष 2019 में रूस के साथ अमेठी में ऑर्डनेंस फैक्टरी बोर्ड यानि ओएफबी के कोरबा प्लांट में साढ़े सात लाख (7.50 लाख) एके-203 राइफल बनाने का करार किया था. लेकिन प्लांट में आज तक राइफल निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन की मौजूदगी में इस प्लांट का उद्घाटन किया था.
यही वजह है भारत ने 70 हजार राइफल सीधे रूस से खरीदने का फैसला किया है. माना जा रहा है कि ये एके-103 सिरीज की ये राइफल भारत की पुरानी पड़ चुकी इंसास राइफल्स की जगह लेंगी.
एलएसी पर चीन से चल रहे विवाद के दौरान भारत ने अमेरिका से भी 1.44 लाख सिगसोर राइफल इमरजेंसी प्रक्योरमेंट के तहत सीधे खरीदी हैं. हालांकि सिगसोर राइफल भारतीय सेना के लिए खरीदी गई थी और इनका इस्तेमाल भारतीय सेना ने शुरू कर दिया है. एलओसी और एलएसी, दोनों ही मोर्चों पर तैनात भारतीय सैनिक इन सिगसोर राइफल्स का इस्तेमाल कर रहे हैं.