नई दिल्ली: भारत में पिछले साल करीब 30 गीगावाट नई रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता जोड़ी है। यह आंकड़ा 2023 में जोड़ी गई 13.75 गीगावाट की क्षमता से 113 प्रतिशत अधिक है। यह जानकारी न्यू एवं रिन्यूएबल एनर्जी मंत्रालय द्वारा दी गई।
2024 में हुए विस्तार के साथ भारत की कुल रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता 218 गीगावाट की हो गई है। भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाने के लिए देश को अगले छह वर्षों में कम से कम 50 गीगावाट प्रति वर्ष की नई रिन्यूएबल क्षमता लगानी होगी।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर न्यू एवं रिन्यूएबल एनर्जी मंत्री, प्रह्लाद जोशी ने एक पोस्ट में लिखा कि वर्ष 2023 की 13.75 गीगावाट के मुकाबले 2024 में करीब 30 गीगावाट की तीव्र वृद्धि के कारण देश की कुल रिन्यूएबल क्षमता अब लगभग 218 गीगावाट की हो गई है। यह क्लीन एनर्जी के प्रति भारत की बढ़ती प्रतिबद्धता और हरित भविष्य के निर्माण में देश की प्रगति को रेखांकित करती है।
मंत्रालय के डेटा के मुताबिक, भारत के पास 31, मार्च 2014 तक 35.84 गीगावाट की रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता थी। वित्तीय वर्ष 2014-15 के बाद से, जब एनडीए सरकार ने केंद्र में बागडोर संभाली, भारत ने 2023-24 में 18.48 गीगावाट की उच्चतम रिन्यूएबल क्षमता वृद्धि दर्ज की।
जेएमके रिसर्च के अनुसार, भारत ने कैलेंडर ईयर 2024 (जनवरी से दिसंबर) में 4.59 गीगावाट की नई रूफटॉप सोलर कैपेसिटी इंस्टॉल की है, जो 2023 की तुलना में 53 प्रतिशत अधिक है। इस वृद्धि का श्रेय मुख्य रूप से पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना को जाता है, जिसे इस साल की शुरुआत में लॉन्च किया गया था। इस योजना ने देश भर में केवल 10 महीनों में 7 लाख रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशन की सुविधा प्रदान की।
विंड सेक्टर में 2024 में 3.4 गीगावाट की नई कैपेसिटी वृद्धि देखी गई, जो 2023 की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है। 2024 में इंस्टॉल्ड विंड एनर्जी कैपेसिटी का 98 प्रतिशत हिस्सा गुजरात (1,250 मेगावाट), कर्नाटक (1,135 मेगावाट) और तमिलनाडु (980 मेगावाट) तीन राज्यों से था।