भारत ने की चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी, अग्रिम मोर्चों के तैयारी का वीडियो देखें
नई दिल्ली: 15 हजार फीट की ऊंचाई, लगातार गिरता तापमान और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) की रक्षा के लिए खुद को और तैयार करती भारतीय सेना. ईस्टर्न सेक्टर के अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना इन दिनों जबरदस्त सैन्य अभ्यास कर रही है. बुम ला में चल रहे इस सैन्य अभ्यास के दौरान सेना असली लड़ाई की तरह जंग लड़ रही है.
बुम ला, तवांग से 37 किमी दूर और तिब्बत में चीन प्रशासित सोना ज़ोंग शहर से 43 किमी दूर महत्वपूर्ण स्थान है. बुम ला में सैन्य अभ्यास के दौरान बारिश, मौसम की मार और ऑक्सीजन की कमी भी हमारे जवानों के हौसलों को डिगा नहीं पाई. भारी बारिश के बीच भारतीय सेना के जवानों ने अदम्य साहस दिखाया.
सैन्य अभ्यास की शुरुआत दुश्मनों के टैंक को तबाह करने से हुई. जैसे ही दुश्मन भारतीय ठिकानों पर हमला करता है, भारतीय सेना करारा जवाब देती है. तोपखाने की आग के साथ दुश्मन को बाधित करने के साथ काउंटर आक्रामक अगले चरण में पहुंच जाता है, जिसमें पैदल सेना के जवान सैनिक एंटी गाइडेड टैंक मिसाइलों से टैंक पर अटैक करते हैं.
सैनिकों को हर समय फिट और तैयार रखने के लिए ये अभ्यास नियमित हैं. न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी. अंतिम हमला तब शुरू होता है जब टैंक रोधी निर्देशित मिसाइलें टैंकों से टकराती हैं, सैनिक फिर पूर्ण नियंत्रण लेने के लिए आगे बढ़ते हैं. अंत में दुश्मन का हमला विफल कर दिया जाता है और दुश्मन को हरा दिया जाता है.
भारतीय सेना एलएसी पर अपनी ताकत को बढ़ा रही है. M777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर यहां हाल ही में तैनात किया गया है. बोफोर्स तोपों के साथ-साथ आर्टिलरी नियमित अभ्यास कर रहे हैं. दुर्गम पहाड़ी इलाकों में होवित्जर ने भारत की मारक क्षमता को बढ़ा दिया है, क्योंकि उन्हें पहाड़ की ऊंचाइयों तक ले जाया जा सकता है.
बोफोर्स को भी अपग्रेड किया गया है. सभी आर्टिलरी गन सिस्टम अब अपनी क्षमताओं को बढ़ाते हुए एकीकृत हैं क्योंकि वे 40 किलोमीटर दूर किसी स्थान से अलर्ट मिलने के कुछ सेकंड के भीतर प्रतिक्रिया दे सकते हैं. मेजर अजय राठौर ने बताया कि हमारे पास आर्टिलरी कॉम्बैट और कमांड सिस्टम हैं, सिस्टम इंटीग्रेटेड सभी सिस्टम्स को तैनात करता है.
अपनी निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने को तेज करते हुए सेना ने एक एकीकृत ग्रिड भी स्थापित किया है. अपने उपग्रहों, ड्रोन, ग्राउंड कैमरों और रडार से रीयल टाइम फीड की मॉनिटरिंग की जा रही है. यह वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार सभी चीनी गतिविधियों की एक स्पष्ट तस्वीर देता है.