नई दिल्ली | मणिपुर दौरे पर गए विपक्षी गठबंधन INDIA का डेलिगेशन रविवार को दिल्ली लौट आया है। मणिपुर के हिंसा प्रभावित राज्य में विपक्षी गठबंधन INDIA के 21 सांसद दौरे पर गए थे। इस दौरान सांसदों ने मणिपुर के राज्यपाल अनुसुइया उइके को ज्ञापन भी सौंपा है। मणिपुर की यात्रा से लौटने के बाद रविवार को नेताओं ने भी अपनी बात रखी है।
हिंसा प्रभावित मणिपुर से लौटने के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद मनोज झा ने कुकी और मैतेई समुदायों से राज्य में शांति और सद्भाव बहाल करने में सहयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कहीं भी शांति का कोई अन्य विकल्प उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि मणिपुर में शांति बहाल हो। न्याय के साथ शांति। हमारी एकमात्र मांग है कि दोनों समुदाय सद्भाव से रहें। मणिपुर में स्थिति खतरनाक है। चाहे मध्य प्रदेश हो या मणिपुर, कहीं भी शांति का कोई विकल्प नहीं है।
बता दें कि महागठबंधन का 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल शनिवार को राज्य के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचा, जहां 3 मई से जातीय संघर्ष और हिंसा देखी जा रही है। मणिपुर से रविवार की दोपहर नेता लौटे है। मणिपुर से लौटने के बाद डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा कि हमने राज्यपाल को अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं, वह भी चिंतित हैं और चाहती हैं कि हम केंद्र सरकार को बताएं कि हमने क्या देखा है। हम बहस के लिए कहेंगे और हम सरकार को बताना चाहते हैं कि हमने क्या देखा है और लोग प्रतिनिधिमंडल भी चाहते हैं सभी पार्टी के नेता वहां (मणिपुर) जाएं और देखें कि क्या हो रहा है। वहां शांति वार्ता होनी चाहिए, यही एकमात्र रास्ता है।
मणिपुर के दौरे पर गए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि वहां के लोगों के साथ जो हुआ उससे हम निराश हैं। राज्यपाल के साथ बैठक में हमने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक अखिल भारतीय पार्टी प्रतिनिधिमंडल यहां आएं। हम पहले दिन से यही सुझाव दे रहे हैं, लेकिन पीएम गायब हैं। उनके मंत्री दिल्ली में बैठकर बयान दे रहे हैं। उन्हें वहां की जमीनी हकीकत देखने के लिए मणिपुर का दौरा करना चाहिए।
इस प्रतिनिधिमंडल के साथ गए जदयू सांसद राजीव रंजन (ललन) सिंह ने कहा कि दोनों समुदायों में असुरक्षा की भावना और विश्वास की कमी है। उन्होंने राज्य सरकार में विश्वास की कमी व्यक्त की। 3 तारीख से घटनाएं हो रही हैं, लेकिन राज्य सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया। राज्यपाल ने कहा कि वह सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए अपनी शक्ति में सब कुछ कर रही हैं, लेकिन हम जानते हैं कि राज्यपाल के पास सीमित शक्तियां हैं और राज्य को चलाने की शक्ति राज्य सरकार के हाथों में है।
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों ही मणिपुर के लिए कोई बड़ा कदम नहीं उठा रही हैं। दिल्ली और देश के बाहर भी बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं। लोगों के घरों में खाना और दवाइयां नहीं हैं, बच्चों के पास पढ़ने के लिए कोई सुविधा नहीं है, कॉलेज के छात्र कॉलेज नहीं जा सकते। दो समुदायों के बीच लड़ाई को खत्म करने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। राज्य सरकार और केंद्र सरकार ने अपनी आंखें बंद कर ली हैं।
दोनों सदनों के 21 सदस्यीय विपक्षी प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी, गौरव गोगोई, के सुरेश और फूलो देवी नेताम शामिल हैं; जदयू के राजीव रंजन ललन सिंह; तृणमूल कांग्रेस से सुष्मिता देव; डीएमके से कनिमोझी; सीपीआई के संतोष कुमार; सीपीआई (एम) से एए रहीम, राजद के मनोज कुमार झा; सपा के जावेद अली खान; झामुमो की महुआ माजी; एनसीपी के पीपी मोहम्मद फैज़ल; जेडीयू के अनिल प्रसाद हेगड़े, आईयूएमएल के ईटी मोहम्मद बशीर; आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन; आप के सुशील गुप्ता; शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत; वीसीके के डी रविकुमार; वीसीके के थिरु थोल थिरुमावलवन भी; और आरएलडी के जयंत सिंह जैसे नेता मणिपुर के दौरे पर गए थे।