भारत-जापान ने आतंकवाद पर पाकिस्तान को लगाई फटकार, पाकिस्तान को लगी मिर्ची
नई दिल्ली: जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने अपनी भारत यात्रा के दौरान शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने यूक्रेन संकट समेत चीन की आक्रामकता पर भी चर्चा की. मुलाकात के बाद दोनों देशों का एक संयुक्त बयान जारी किया गया जिसमें पाकिस्तान और आतंकवाद का जिक्र किया गया. पाकिस्तान की तरफ से इसे लेकर कड़ी आपत्ति जताई गई है.
बयान में पाकिस्तान को लेकर कहा गया, 'दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने आतंकवाद के बढ़ते खतरे पर गहरी चिंता व्यक्त की और लगातार व्यापक तरीके से आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया. उन्होंने सभी देशों से यह सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया कि वो अपने क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल न करने दें.'
बयान में आगे कहा गया, 'दोनों प्रधानमंत्रियों ने 26/11 मुंबई हमलों और पठानकोट हमलों सहित भारत में आतंकवादी हमलों की निंदा की और पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ दृढ़ और कड़ी कार्रवाई करने का आह्वान किया. उन्होंने पाकिस्तान से FATF सहित अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह से पालन करने का आह्वान किया.'
भारत में पाकिस्तान के राजदूत रह चुके अब्दुल बासित ने भारत-जापान के इस संयुक्त बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा है कि ये कोई पहली बार नहीं है जब भारत ने किसी देश के साथ संयुक्त बयान में पाकिस्तान का जिक्र किया है बल्कि अमेरिका के साथ भारत के संयुक्त बयानों में भी पाकिस्तान का जिक्र किया जाता रहा है.
जापान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, 'जापान की तरफ से ऐसे मौकों पर पाकिस्तान का जिक्र करना 2016 से शुरू हुआ. उसके बाद से हर साल भारत के साथ जापान के संयुक्त बयान में पाकिस्तान का जिक्र होता आया है. इस बार तो FATF का भी जिक्र है जबकि पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में शामिल हुए तीन साल हो गए हैं और पाकिस्तान ने FATF की सभी प्रतिबद्धताओं को पूरा भी किया है. ये अलग बात है कि FATF अब एक राजनीतिक हथियार बन गया है और इसके अधिकतर फैसले राजनीतिक बुनियादों पर ही होते हैं.'
अब्दुल बासित ने कहा कि दो देशों के संयुक्त बयान में ऐसा होता नहीं है कि किसी तीसरे देश का जिक्र हो. संयुक्त बयान में उत्तर कोरिया का भी जिक्र है जिसे लेकर उन्होंने कहा कि भारत और जापान, दोनों देशों के रिश्ते उत्तर कोरिया से बेहतर नहीं है इसलिए बयान में उत्तर कोरिया का जिक्र समझ में आता है लेकिन जापान के साथ तो पाकिस्तान के रिश्ते बेहतर स्थिति में हैं, बावजूद इसके, बयान में पाकिस्तान का जिक्र समझ नहीं आता.
इसके साथ ही अब्दुल बासित ने पाकिस्तान की सरकार पर भी निशाना साधा कि वो इस तरह के संयुक्त बयानों पर आपत्ति जताती तो बार-बार ये नहीं होता. उन्होंने पाकिस्तान की सरकार पर द्विपक्षीय रिश्तों पर जोर न देने का भी आरोप लगाया.
बासित ने कहा, 'जब 2016 में पहली बार भारत-जापान के संयुक्त बयान में आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान का जिक्र किया गया था. उससे पहले भी हमारी कोशिश ये होना चाहिए थी कि हम भारत-जापान को आगाह कर दें, उन पर जोर डालें कि पाकिस्तान का नाम इस तरह नहीं आना चाहिए. अभी भी मैं देखता हूं कि हमारा फोकस द्विपक्षीय रिश्तों पर ज्यादा नहीं होता इसलिए जब इस किस्म के बयान आते हैं तो हम परेशान हो जाते हैं.'