कोरोना महात्रासदी से जूझ रहा भारत, क्या दुश्मन कर सकते है दुस्साहस? चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने देशवासियों को दिया ये संदेश
क्या कोरोना काल में जब देश की सेना कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में सिविल प्रशासन की मदद में जी जान से जुटी है, सीमा पर हमारे दुश्मन दुस्साहस को अंजाम दे सकते है? ऐसी शंकाओं के जवाब में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने देश को आश्वस्त किया है.
इंडिया टुडे के साथ खास बातचीत में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत ने कहा है कि देश की सेना ने ऐसी तैयारियां की हैं कि हमें कोई चकमा न दे सके. हमने सेना को रिजर्व एरिया में रखा है ताकि अगर किसी तरह की गड़बड़ी हो तो हम अपने पसंद के स्थान पर सेना को तुरंत तैनात कर सकें.
सीडीएस बिपिन रावत से पूछा गया कि पिछले साल लगभग इसी समय चीन ने लद्दाख में दुस्साहस करने की कोशिश की थी, क्या ऐसे समय में जब भारत की सेना कोरोना से जंग में व्यस्त है, चीन ऐसी हिमाकत फिर से कर सकता है. ऐसे दुश्मनों को CDS बिपिन रावत क्या संदेश देना चाहेंगे?
इसके जवाब में बिपिन रावत ने कहा कि ऐसी चुनौतियों को लेकर सेना समय-समय पर खतरे का आकलन (Risk assesement) और खतरे का विश्लेषण करती रहती है. इस साल भी कोरोना के समय सेना ने ऐसा ही किया है कि बॉर्डर पर क्या हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस वक्त बॉर्डर पर हमारी कम से कम मौजूदगी है, लेकिन हमने रिजर्व सेना को तैयार रखा है जिसे हम अपने पसंद के स्थान पर कभी भी तैनात कर सकते हैं.
बिपिन रावत ने कहा कि हम कोरोना काल में लोगों की मदद कर सकें इसके लिए हम कुछ हद तक रिस्क भी ले रहे हैं, कुछ सेना को वापस बुलाया गया है ताकि हम कोविड के खिलाफ जंग में देश की मदद कर सकें. उन्होंने कहा कि खतरे का आकलन करने के बाद हमलोगों ने कुछ जगहों की पहचान की है जहां कि हमें लगता है कि हमारी सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त होनी चाहिए.
सीडीएस बिपिन रावत ने कहा कि हमारे सभी कमांडर खतरे का विश्लेषण करने में महारत हैं. हम सेना के उन कमांडर्स को बहुत महत्व देते हैं जिनके पास रिस्क लेने की योग्यता है. क्योंकि खतरे लेने की काबिलियत दिमाग में होती है. उन्होंने कहा कि अगर आप ये सोचते हैं कि हमें अपने इलाके के हर इंच की रक्षा करनी है तो मेरी नजर में आप अच्छे कमांडर नहीं हैं. आपको आकलन करना होगा कि दुश्मन कहां हमारे ऊपर फायदा उठा सकता है और हम उसके ऊपर कहां और कैसे फायदा उठा सकते हैं.
सीडीएस रावत ने कहा कि इस आकलन के आधार पर आपको काम करना होता है, और इसी के आधार पर आप ये तय करते हैं कि कहां कितनी ताकत का जमावड़ा किया जाए, आप किसी स्थान पर अपनी शक्ति इतनी कम न कर दें कि आपको किसी तरह के नुकसान होने की संभावना हो?
बता दें कि पिछले साल 15-16 जून की रात को चीन की सेना ने लद्दाख में गलवान घाटी में विश्वासघात कर भारतीय सेना पर हमला किया था. इस हमले में देश के एक कर्नल समेत 20 जवान शहीद हो गए थे. भारत के जवाबी हमले में चीन के भी दर्जनों जवान मारे गए थे, लेकिन चीन ने कई महीनों तक अपने सैनिकों की मौत को मानने से ही इनकार कर दिया था.