भारत को नेहरू मिले, पाक को जिन्ना, इसलिए हम इस मुकाम पर हैं : आम आदमी पार्टी
राजनीतिक रूप से उनका बहुत विरोध हुआ होगा, लेकिन उन सारे विरोधों को अलग रखते हुए उन्होंने अपनी राजनीतिक दूर दृष्टि और स्पष्टता दिखाई, इसको कहते हैं लीडरशिप।
उन्होंने सदन में कहा कि नींव का पत्थर अगर सीधा लगता है तो बाकी के पत्थर भी सीधे लगते जाते हैं और दीवार सीधी जाती है। यदि नींव का पत्थर टेढ़ा लगे तो दीवार भी टेढ़ी हो जाती है। संदीप कुमार ने कहा कि पंडित नेहरू के बाद इंदिरा गांधी और फिर अटल बिहारी वाजपयी ने भी स्पेस साइंस को काफी महत्व दिया।
उन्होंने कहा कि इसरो इंस्टीट्यूशन के बिल्ड होने के 10 साल के अंदर ही सबसे पहले सैटेलाइट इसरो ने लॉन्च कर दिया था, जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है। 20 साल होते-होते भारत में जो सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल होते हैं, इंडिया में वह तैयार कर लिया था। 20 साल के पहले खुद के व्हीकल से अपने सैटेलाइट लॉन्च करने शुरू कर दिए थे।
संदीप ने कहा कि भारत ने ऐसा क्या किया स्पेस के क्षेत्र में जो इतना आगे कर लिया। मैंने राजनीति में आने से पहले साइंस पढ़ा है। मैं अच्छी तरह से समझता हूं इस बात को, किसी एक साइंटिस्ट से ज्यादा महत्वपूर्ण होती है संस्था। आम आदमी पार्टी के सांसद संदीप कुमार ने कहा कि हमारे आपसी मतभेद हो सकते हैं लेकिन साइंस और टेक्नोलॉजी में जो काम नेहरू जी ने किया, उसको पूरा देश मानता है और उनकी लीडरशिप को आगे बढ़ाने में हम सबको रहना होगा। इसरो को बनाने का विजन यह था कि साइंस-टेक्नोलॉजी को कैसे जनमानस के हित में उपयोग करना है। संदीप ने इसके साथ ही कहा कि सरदार पटेल और अंबेडकर ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू जी का साथ दिया, जिससे यह सभी चीज संभव हो सकी।