कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एक दिन के भारत बंद का आह्वान किया था. 26 फरवरी यानी आज आहूत भारत बंद का ट्रांसपोर्टर्स ने भी समर्थन करने का ऐलान किया था. दोनों ही संगठनों ने भारत बंद के दौरान कोई भी व्यावसायिक गतिविधि न होने, ट्रकों के पार्किंग में ही खड़े रहने का दावा किया है. कैट का दावा है कि देश भर के 40 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठनों से जुड़े 8 करोड़ से अधिक व्यापारियों ने अपना कारोबार बंद रखा.
कैट ने दावा किया है कि देश के बाजारों में कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं हुई. कारोबार ठप रहने से देश में करीब 1 लाख करोड़ रुपये के व्यापार का नुकसान हुआ है. सभी राज्यों के व्यापारियों ने व्यापार बंद रखा और केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और जीएसटी काउंसिल को यह संदेश दिया कि जीएसटी का उपनिवेशीकरण करने से व्यापार और अर्थव्यवस्था में व्यवधान पैदा होगा. देश भर में व्यापारी से व्यापारी (बी टू बी) और व्यापारी से उपभोक्ता (बी 2 सी) का व्यापार पूरी तरह से बंद रहा. कैट ने बंद में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति, केमिस्ट शॉप ,दूध और डेयरी उत्पादों की आपूर्ति करने वाले जनरल स्टोर को व्यापार बंद के दायरे से बाहर रखा.
ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (ऐटवा) की ओर से नेशनल प्रेसिडेंट महेंद्र आर्या, चेयरमैन प्रदीप सिंगल और ज्वाइंट सेक्रेटरी अभिषेक गुप्ता ने दावा किया है कि आज सभी ट्रक पार्किंग में ही पार्क रहे. कोई ट्रक लोड-अनलोड नहीं हुआ. ऐटवा ने ईवे बिल और जीएसटी के साथ ही डीजल की बढ़ती कीमतों के खिलाफ कैट की ओर से आहूत भारत बंद का समर्थन किया. संगठन की ओर से दावा किया गया कि सभी ट्रांसपोर्ट कंपनियों से सुबह 10 से शाम 6 बजे तक अपने वाहन खड़े रखने के लिए कहा गया था.
कैट की ओर से आहूत इस बंद का ऑल इंडिया एफएमसीजी प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया वूमेन एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन, हॉकर्स ज्वाइंट एक्शन कमेटी, ऑल इंडिया कम्प्यूटर मीडिया डीलर्स एसोसिएशन, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया वेजिटेबल ऑयल डीलर्स एसोसिएशन, नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के साथ राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर कई संगठनों ने समर्थन किया.
प्रवीन खंडेलवाल ने भारत बंद को असरदार बताते हुए कहा कि अधिकारियों को दी गई मनमानी और अनैतिक शक्तियां देश में फिर से इंस्पेक्टर राज लाएंगी. ईमानदार और कर पालन करने वाले व्यापारियों के उत्पीड़न के लिया इन शक्तियों का इस्तेमाल किया जाएगा. कैट ने मांग की है कि कानून में कोई संशोधन करने से पहले जीएसटी नियमों के विवादास्पद प्रावधानों को स्थगित किया जाए और व्यापारियों को विश्वास में लेकर ही बदलाव किया जाए.