झारखंड के 38 हजार से ज्यादा आंगनवाड़ी केंद्रों में 15 लाख नौनिहालों को मिलने वाली खिचड़ी पर भी आफत
रांची (आईएएनएस)| झारखंड के 38 हजार से भी ज्यादा आंगनवाड़ी केंद्रों में 15 लाख से भी ज्यादा नौनिहालों को मिलने वाली पतली खिचड़ी पर भी आफत आ गई है। करीब ढाई लाख प्रसूताओं को सरकारी प्रावधान के अनुसार सूखा पोषाहार भी नहीं मिल पा रहा है। राज्य के ज्यादातर जिलों में कहीं छह-सात महीने तो कहीं साल भर से पोषाहार मद की राशि नहीं मिल पाई है। प्राय: तमाम आंगनवाड़ी केंद्र स्थानीय दुकानदारों से उधार पर मिल रहे राशन के भरोसे संचालित हो रहे हैं। अब दुकानदार भी उधार देने से हाथ खड़ा कर रहे हैं। किराए पर चल रहे हजारों आंगनवाड़ी केंद्रों के किराए का भुगतान कहीं साल तो कहीं दो साल से नहीं हुआ है। आंगनवाड़ी सहायिकाओं को भी छह-सात महीने से मानदेय का भुगतान नहीं हुआ है।
आंगनवाड़ी केंद्रों में निबंधित प्रत्येक बच्चे के लिए पोषाहार के मद में सरकार 10.94 रुपये देती है। यानी एक बच्चे पर माह में 328.20 रुपये खर्च होते हैं। राज्य में 38481 आंगनवाड़ी केंद्रों में 15.21 लाख बच्चे निबंधित हैं। इस हिसाब से महीने सरकार की ओर से 4.56 करोड़ रुपये की राशि देनी होती है, लेकिन ज्यादातर जिलों में बीते जुलाई के बाद से इस मद में राशि जारी नहीं की गई है। कुछ जिलों में हाल में सिर्फ एक महीने की राशि दी गई है। गिरिडीह, हजारीबाग, गोड्डा, साहिबगंज और चाईबासा में तो पूरे 12 महीने से राशि नहीं मिली है।
राशि समय पर नहीं मिलने का असर पोषाहार का आपूर्ति पर पड़ रहा है। हजारों केंद्रों में सिर्फ खिचड़ी मिल रही है। कई केंद्रों पर तो पोषाहार का वितरण अनियमित तरीके से हो रहा है। समाज कल्याण आंगनवाड़ी कर्मचारी संघ के अनुसार, सरकार से पैसा नहीं मिलने के बावजूद सेविकाओं ने दुकानों से उधार सामान लेकर बच्चों को निवाला खिलाया, पर अब दुकानदारों ने उधार देने से मना कर दिया है। लॉकडाउन से पहले आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों को खिचड़ी, सूजी और रेडी टु ईट फूड मिलता था। अब ज्यादातर केंद्रों में सिर्फ हल्दी, चावल और थोड़ी सी दाल मिलाकर बनाई गई खिचड़ी ही दी जा रही है।
समाज कल्याण विभाग की सहायक निदेशक सुमन सिंह के मुताबिक, पोषाहार की राशि सभी जिलों को जल्द ही मिल जाएगी।
38481 आंगनवाड़ी केंद्रों में से 14484 केंद्रों के पास अपना भवन और शौचालय नहीं हैं। निजी भवनों में आंगनवाड़ी केंद्र चलाए जा रहे हैं। पलामू, रांची और धनबाद जिलों का सबसे बुरा हाल है। पलामू में 2595 में से 1719 आंगनवाड़ी केंद्रों का अपना भवन व शौचालय नहीं है। रांची में कुल 2832 में से 1207 केंद्र निजी भवनों में चल रहे हैं। धनबाद के 2231 में से 1147 के पास अपना भवन नहीं है। किराए के मकानों में चल रहे केंद्रों के किराए का भुगतान भी सरकार नहीं कर पा रही है।