मध्यप्रदेश में भी जेपी नड्डा और शिवराज सिंह चौहान की मुलाकात के बात सियासी सुगबुगाहट तेज

Update: 2021-09-23 15:49 GMT

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुधवार को दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात को राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है। बीते दो माह में शिवराज चौहान की दिल्ली यात्राओं को लेकर तमाम तरह की अटकलें रहीं हैं। माना जा रहा है कि दो महीने में अब तक करीब पांच बार शिवराज दिल्ली की दौड़ लगा चुके हैं। चौहान के अगले सप्ताह फिर से दिल्ली आने की संभावना है। गौरतलब है कि हाल में भाजपा व कांग्रेस ने अपनी सत्ता वाले कुछ राज्यों में नेतृत्व परिवर्तन किए है। माना जा रहा है कि दोनों दलों ने सत्ता विरोधी माहौल को खत्म करने के लिए यह बदलाव किए हैं। भाजपा ने हाल के महीनों में उत्तराखंड, गुजरात व कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन किए हैं तो कांग्रेस ने पंजाब में मुख्यमंत्री बदला है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व अपनी सत्ता वाले सभी राज्यों की व्यापक समीक्षा कर रहा है और भावी चुनावी रणनीति के अनुसार बदलाव कर रहा है। इसमें हरियाणा, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश व हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। मध्यप्रदेश में हलचल काफी ज्यादा है इसका अंदाजा मुख्यमंत्री के दिल्ली दौरों और पार्टी के केंद्रीय नेताओं से मेल मुलाकातों से लगाया जा सकता है।

सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीते दो महीनों में पांच बार दिल्ली आ चुके हैं। जुलाई में जहां चौहान ने तीन बार दिल्ली का दौरा किया था, वहीं अगस्त में वह एक बार दिल्ली आए थे। हालांकि, अब तक स्पष्ट नहीं है कि आखिर किस मसले को लेकर लगातार शिवराज दिल्ली आ रहे हैं। बुधवार को भी वह दिल्ली में थे और जेपी नड्डा से मिले थे। अगले सप्ताह गृहमंत्री अमित शाह से मिलने शिवराज फिर दिल्ली आ सकते हैं। मगर जिस तरह से भाजपा राज्यों में मुख्यमंत्री को लेकर प्रयोग कर रही है, ऐसे में सियासी अटकलों का दौर भी शुरू हो चुका है।

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव अभी दूर है, इसलिए बदलाव को नेतृत्व को कोई जल्दबाजी भी नहीं है, लेकिन पार्टी समय रहते स्थितियों को अपने पक्ष में करना चाहती है। खासकर कोरोना काल की परिस्थितियों को लेकर पार्टी काफी सजग है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि मध्य प्रदेश की स्थिति अन्य राज्यों से अलग है। वहां पर भाजपा पिछला चुनाव शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में हार गई थी, लेकिन बाद में कांग्रेस में विभाजन से भाजपा की सरकार फिर से बनी और पार्टी ने शिवराज सिंह पर ही भरोसा जताया। अब उसे आगे की रणनीति तय करनी है।

Tags:    

Similar News

-->