बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में सुवेंदु अधिकारी ने कहा- बंगाल का मतलब बिजनेस नहीं, खून हैं

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Update: 2022-04-21 16:44 GMT

कोलकाता। बंगाल में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए ममता बनर्जी सरकार की पहल पर एक तरफ जहां दो साल के अंतराल के बाद बुधवार को यहां दो दिवसीय बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट का आगाज हुआ तो वहीं दूसरी ओर विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी के नेतृत्व में 11 भाजपा विधायकों का प्रतिनिधिमंडल बीरभूम जिले के देवचा पचामी में जाकर विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने राज्य में चुनाव के बाद हुई हिंसा का जिक्र करते हुए पश्चिम बंगाल की टीएमसी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बंगाल का मतलब अब खून हो गया है। बंगाल अब व्यापार के लिए नहीं है, जैसा कि बंगाल वैश्विक व्यापार शिखर सम्मेलन के जरिए दिखाने का इरादा है। भाजपा नेताओं ने यहां लग रही देश की सबसे बड़ी व दुनिया की दूसरी बड़ी कोयला खनन परियोजना का विरोध कर रहे। आदिवासी परिवारों से मुलाकात की और आंदोलनकारियों के प्रति अपना समर्थन जताया।

इस दौरान सुवेंदु ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि देवचा पचामी में लोगों को जबरन हटाकर कोयला परियोजना लगाई जा रही है। उन्होंने कहा कि यहां स्थानीय ज्यादातार आदिवासी परिवार परियोजना के पक्ष में नहीं हैं। जबरन लोगों का जमीन छीनकर बेदखल करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई आदिवासी का पेंशन तक बंद कर दिया गया है। इन सभी मुद्दों पर उन्होंने कोर्ट जाने की भी बात कहींविपक्ष के नेता ने कहा कि राज्य में सिंडिकेट राज कायम है, जिससे उद्योगों के पनपने के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि बंगाल में उद्योग नहीं हो सकते, लैंड पॉलिसी खराब है। यहां सिंडिकेट राज है, चाहे वह कोयला हो या कुछ और। व्यापार के लिए बंगाल नहीं है, लेकिन बंगाल खून के लिए है और बंगाल 'बीरभूम बम' के लिए है।।
वहीं, ममता सरकार द्वारा ग्लोबल बिजनेस समिट के आयोजन पर कटाक्ष करते हुए सुवेंदु ने कहा कि इस राज्य में सिर्फ पकौड़ा उद्योग लगेगा। सुवेंदु ने दावा किया कि ममता बनर्जी के पिछले 11 वर्षों के शासन में बंगाल में पकौड़ा को छोड़ अब तक एक उद्योग भी नहीं लगा है। राज्य के युवा रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर हैं। सुवेंदु ने इस दौरान आदिवासी परिवारों को आश्वस्त किया कि वह उनके साथ हैं। बार-बार वह देवचा पचामी आते रहेंगे। उन्होंने साथ ही राज्य सरकार को चेतावनी दी कि जबरन यहां परियोजना नहीं शुरू करने देंगे।
बता दें कि इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पिछले दिनों दावा किया था कि उस इलाके में करीब 4,200 परिवारों में से 1,600 परिवारों ने 30,000 करोड़ रुपये की कोयला परियोजना के लिए अपनी जमीन देने को लेकर पहले ही रजामंदी दे दी है। राज्य सरकार ने इस परियोजना के कारण जमीन गंवाने वालों के लिए 10,000 करोड़ रुपये का राहत एवं पुनर्वास पैकेज भी तय किया है।
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