जरूरी खबर: रिजर्व बैंक बदलेंगे लॉकर के नियम, बैंकों को दिए ये निर्देश

बैंक लॉकरों से संबंधित नियम बदलने वाले हैं। रिजर्व बैंक ने नए नियम जारी कर दिए हैं।

Update: 2021-08-18 16:56 GMT

बैंक लॉकरों से संबंधित नियम बदलने वाले हैं। रिजर्व बैंक ने नए नियम जारी कर दिए हैं। हालांकि इस बदलाव पर अमल में अभी करीब चार माह का समय बाकी है, लेकिन लॉकर धारकों को नए नियमों को जानना जरूरी है।

रिजर्व बैंक द्वारा जारी नए नियमों के अनुसार एक जनवरी 2022 के बाद केवाईसी (KYC) के माध्यम से ऐसे लोगों को भी लॉकर की सुविधा दी जा सकेगी, जिनका बैंक में खाता नहीं है। हालांकि संबंधित व्यक्ति को लॉकर की सुविधा देना या नहीं, यह बैंकों पर निर्भर करेगा।
प्रमुख बदलाव एक नजर में
बैंक व ग्राहक के बीच एग्रीमेंट स्टांप पर होगा।
लॉकर का उपयोग करने पर बैंकों को संबंधित ग्राहक को एसएमएस और ईमेल भेजना पड़ेगा।
ग्राहकों से लॉकर खोलने के लिए अर्जी ली जाएगी। इसके बाद नंबर जारी होगा।
लॉकर आवंटन की जानकारी कोर बैंकिंग सिस्टम से जुड़ी होगी।
लॉकर को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट करने पर ग्राहक को पूर्व सूचना देना होगी।
बैंकों को स्ट्रांग रूम या वॉल्ट की कड़ी सुरक्षा करना होगी।
लॉकर कक्ष में प्रवेश व बाहर निकलने का सीसीटीवी फुटेज कम से कम 180 दिन रखना होगा।
लॉकर किराए के तौर पर एफडी का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसके ब्याज से किराया राशि की कटौती की जा सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में यह कहा था
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल फरवरी में एक फैसले में शुक्रवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) से छह महीने में बैंकों की लॉकर सुविधा प्रबंधन को लेकर विनियमन बनाने को कहा है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि लॉकर परिचालन के मामले में ग्राहकों के प्रति अपनी जिम्मेदारी से बैंक पल्ला नहीं झाड़ सकते।
जस्टिस एमएम शांतनागौदार और जस्टिस विनीत शरण की पीठ ने कहा था कि वैश्वीकरण के दौर में बैंकिंग संस्थानों की भूमिका बेहद अहम हो गई है। बैंकिंग संस्थान अब आम लोगों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। पीठ ने कहा कि तकनीकी विकास के कारण अब हम दो चाबी वाले लॉकर से इलेक्ट्रॉनिक लॉकर की ओर बढ़ रहे हैं। नए तरह के लॉकर पर ग्राहकों के पासवर्ड या एटीएम पिन के जरिए आंशिक रूप से पहुंच होती हैं, उन्हें तकनीक के बारे में कम ही जानकारी होती है। इस बात का भी आशंका बनी रहती है कि बदमाश तकनीकी हेरफेर कर लॉकर तक पहुंच जाए और ग्राहकों को इसकी भनक तक न लगे। पीठ ने कहा, ग्राहक पूरी तरह से बैंक के भरोसे रहते हैं। संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए बैंकों के पास अधिक व बेहतर संसाधन है। ऐसी स्थिति में बैंक अपनी इस जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते कि बैंक के लॉकर के संचालन में उनकी जिम्मेदारी नहीं है।
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