आज किसान यूनियन की अहम बैठक, घर वापस लौटना चाहते हैं किसान, खत्म हो जाएगा आंदोलन?
नई दिल्ली. पिछले एक साल से चल रहे किसानों का आंदोलन (Kisan Andolan) कब खत्म होगा इसके लेकर आज किसान यूनियन की अहम बैठक होगी. बता दें कि इसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की तरफ से तीनों नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) को वापस लिए जाने का ऐलान किया गया था. पंजाब के सभी 32 कृषि संगठनों ने मौजूदा हालात पर चर्चा करने के लिए बैठक बुलाई है. ये बैठक सिंघु बॉर्डर पर होगी. किसान कब घर वापसी करेंगे इस पर फैसला हो सकता है.
पंजाब के संगठनों की बैठक को काफी अहम माना जा रहा है. खासकर जब संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि आंदोलन को लेकर कहा है कि वो 4 दिसंबर को आगे की कार्रवाई तय करने के लिए बैठक करेगा. अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून के मुताबिक संसद द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयक पारित होने के बाद कुछ संगठन घर वापस जाने के पक्ष में हैं . साथ ही एमएसपी गारंटी की मांग पर विचार करने के लिए कृषि संगठनों के प्रतिनिधियों और सरकारी अधिकारियों की एक संयुक्त समिति बनाई गई है.
घर वापस लौटना चाहते हैं किसान
एक किसान नेता ने कहा, 'पंजाब संगठन 4 दिसंबर को एसकेएम की प्रस्तावित बैठक से पहले 'आगे बढ़ने' या 'घर वापस जाने' के बारे में भविष्य की रणनीति पर आम सहमति पर पहुंचना चाहते हैं.' बीकेयू (डकोंडा) के बूटा सिंह ने कहा, 'पंजाब के संगठन चर्चा करेंगे कि उन्हें कब घर लौटना है, अगर कृषि कानूनों को निरस्त किया जाता है और किसानों की एक संयुक्त समिति बनाई जाती है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो एसकेएम आगे की कार्रवाई तय करेगा. बीकेयू (राजेवाल) के परगट सिंह ने कहा कि बैठक निर्णायक होगी, लेकिन अंतिम फैसला एसकेएम 4 दिसंबर को करेगा.'
सर्वसम्मति से होगा फैसला
एसकेएम नेता इंद्रजीत सिंह ने कहा कि एसकेएम की बैठक से पहले पंजाब और हरियाणा के दोनों संगठन अलग-अलग बैठकें करते थे. हालांकि, अंतिम फैसला एसकेएम द्वारा सर्वसम्मति से लिया गया था. उन्होंने कहा, 'हरियाणा के संगठन भी एसकेएम की बैठक से पहले 4 दिसंबर की सुबह बैठक करेंगे.'
अब क्या है किसानों की मांग?
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद कैबिनेट में भी तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मंजूरी मिल चुकी है. लेकिन किसान अभी भी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं. किसान चैहते हैं कि उन्हें MSP की गारंटी दी जाए. साथ ही जिन किसानों ने आंदोलन में अपनी जान गंवाईं हैं, उन्हें मुआवजा दिया जाए. इसके अलवा उनकी याद में स्मारक बनाया जाए. जिन किसानों पर मुकदमे दर्ज किए गए, उनको वापस लिया जाए, इन मांगों पर किसान अभी भी दिल्ली बॉर्डर पर लगातार डटे हुए हैं.