राज्यसभा में मणिपुर पर हो तुरंत चर्चा, विपक्षी सांसदों ने सरकार से की जवाब की मांग
नई दिल्ली: विपक्षी सांसदों ने मांग की है कि 21 जुलाई को नियम-267 के तहत राज्यसभा के शेष सभी कामकाज को निलंबित कर मणिपुर की स्थिति पर चर्चा कराई जाए। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों का कहना है कि मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर संसद में विस्तार से चर्चा होनी चाहिए और सरकार को सभी प्रश्नों का उत्तर सदन में देना चाहिए। आरजेडी से राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस संबंध में राज्यसभा सभापति को लिखा है। मनोज झा ने लिखा है कि "दो महीने से अधिक समय से चल रही जातीय हिंसा पर चर्चा के लिए राज्यसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों के नियम 267 के तहत मैं सदन के कार्य को स्थगित करने का प्रस्ताव लाना चाहूंगा।"
उन्होंने कहा जैसा कि हम जानते हैं मणिपुर में जारी हिंसा में 140 लोग मारे गए हैं, कई हज़ार घायल हुए हैं, 60,000 व्यक्ति विस्थापित हुए हैं। सैकड़ों घर, चर्च और गांव जला दिए गए और नष्ट कर दिए गए हैं। इसके अलावा, महिलाओं को नग्न घुमाने की भयावह तस्वीरों ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने लिखा कि भीषण हिंसा आज भी बदस्तूर जारी है और निर्दोष आदिवासी गांवों पर हमलों की घटनाएं रुकी नहीं हैं। इस संदर्भ में "मैं नियम-267 के तहत आपके समक्ष अपना अनुरोध रखता हूं कि हमें सूचीबद्ध अन्य सभी कार्यों को निलंबित कर उल्लिखित मामले पर चर्चा करने की अनुमति दी जाए।"
ऐसा ही अनुरोध विपक्ष के कई अन्य सांसदों ने भी किया है। आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने अपने लिखित अनुरोध में कहा कि सरकार की विफलता के कारण मणिपुर राज्य में कानून और व्यवस्था के टूटने पर चर्चा के लिए 21 जुलाई 2023 के लिए मैं नियम 267 के तहत नोटिस देता हूं। राज्य सभा में कार्यकलाप का प्रस्ताव रखने का मेरा इरादा 21 जुलाई के लिए सूचीबद्ध अन्य सभी का कार्यकलापों के निलंबन के लिए यह प्रस्ताव है।
राघव ने लिखा कि वह मणिपुर में हिंसा पर चर्चा करने के लिए सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल और दिन के अन्य कामकाज से संबंधित कार्यों को निलंबित की मांग करते है। उनका कहना है कि सरकारों की विफलता और अक्षमता के कारण मणिपुर में बहुमूल्य जीवन की हानि हुई है।