IIT छात्र डिजिटल अरेस्ट का शिकार, 8 लाख की ठगी

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Update: 2024-11-27 01:57 GMT

मुंबई। बीते दिनों देश में साइबर क्राइम के मामले जिस तेजी से बढ़े उतनी ही तेजी से 'डिजिटल अरेस्ट' जैसी चीज भी सामने आई हैं. ये एक प्रकार से किसी को मेंटली कंट्रोल करने जैसा होता है और एक फोन कॉल से इसके जाल में फंस चुके लोग इसे भयानक बताते हैं और लाखों रुपये भी गंवा देते हैं. आईआईटी बॉम्बे का एक छात्र ऐसी ठगी का ताजा शिकार बना है.

पुलिस ने मंगलवार को बताया कि आईआईटी बॉम्बे के एक छात्र को कॉल पर खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का कर्मचारी बताकर पहले 'डिजिटल अरेस्ट' किया गया और फिर उसे डराकर उससे 7.29 लाख रुपये की ठगी की गई.

मुंबई के पवई पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया, '25 साल के पीड़ित को एक अज्ञात नंबर से कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई का कर्मचारी बताया और बताया कि उसके मोबाइल नंबर पर अवैध गतिविधियों की 17 शिकायतें दर्ज की गई हैं.' उन्होंने बताया कि कॉल करने वाले ने दावा किया कि उसके नंबर को डीएक्टिवेट होने से रोकने के लिए उसे पुलिस से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेनी होगी. साथ ही उसको बताया कि वह कॉल को साइबर क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कर रहा है. उन्होंने बताया कि,'इसके बाद व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर एक व्यक्ति पुलिस अधिकारी की ड्रेस में सामने आया. उसने पीड़ित का आधार नंबर मांगा और आरोप लगाया कि वह मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल था. उसने छात्र को यूपीआई के माध्यम से 29,500 रुपये ट्रांसफर करने के लिए मजबूर किया." .

उन्होंने कहा, इसके बाद आरोपी ने पीड़ित को धमकी दी और दावा किया कि उसे डिजिटल अरेस्ट किया गया है और इस समय वह किसी से कॉन्टैक्ट नहीं कर सकता है. स्कैमर्स ने अगले दिन फिर उन्हें फोन किया और पैसे की मांग की. इस बार, पीड़ित ने अपनी बैंक डीटेल शेयर कर दी, जिससे जालसाजों ने उसके अकॉउंट से 7 लाख रुपये निकाल लिए.


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