आईआईएम-एल उत्तर प्रदेश में माध्यमिक विद्यालयों के प्रिंसिपलों को करेगा प्रशिक्षित
लखनऊ (आईएएनएस)| भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ (आईआईएम-एल) उत्तर प्रदेश के सरकारी माध्यमिक विद्यालयों के प्रिंसिपलों को प्रशिक्षित करेगा। इसका उद्देश्य नेतृत्व क्षमता निर्माण, उन्हें सशक्त बनाने और उनके संबंधित स्कूलों के प्रति स्थानीय जवाबदेही पैदा करने के लिए प्राचार्यों को प्रशिक्षित करना है।
प्रशिक्षण 27 मार्च से बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह की उपस्थिति में शुरू होगा।
प्रशिक्षण आईआईएम-एल और समग्र शिक्षा के बीच एक समझौते का हिस्सा है और इसमें शिक्षक विकास के मुद्दों के अलावा शैक्षणिक उत्कृष्टता और खुशी के लिए परामर्श जैसे विषय शामिल होंगे।
स्कूली शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने कहा, सरकार सभी पब्लिक स्कूलों में बुनियादी ढांचे के अपग्रेडिंग और शैक्षणिक हस्तक्षेप पर काम कर रही है, लेकिन जब तक प्रधानाध्यापक प्रभावी नेतृत्व प्रदान नहीं करेंगे, तब तक शासन की विफलता होगी। इसलिए, हमने उन्हें प्रेरित करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए ऐसे कौशल विकसित करने के लिए आईआईएम-लखनऊ के साथ साझेदारी की है।
अधिकारियों ने कहा कि स्कूल के प्रधानाचार्यों की एक चुनौतीपूर्ण नेतृत्व भूमिका होती है और उन्हें विचारों और प्रथाओं के आदान-प्रदान के लिए निरंतर प्रशिक्षण और मंच की आवश्यकता होती है।
आईआईएम-एल के प्रवक्ता ने कहा, यह प्रशिक्षण, जो कई भूमिकाओं और जिम्मेदारियों पर केंद्रित है, ज्यादातर प्रधानाध्यापकों द्वारा सामना किए जाने वाले मुद्दों की जांच करने और स्कूलों की बेहतर भविष्य अनुकूलन क्षमता के लिए सामरिक प्रतिक्रिया विकसित करने की सुविधा प्रदान करेगा।
एक प्रिंसिपल ने कहा, हम आईआईएम में नई चीजें सीखने के लिए उत्सुक हैं। सत्र हमें सिखाएगा कि अच्छे नेतृत्व की क्षमता कैसे पैदा की जाए, जिसका हम अपने स्कूल में उपयोग कर सकते हैं।
अधिकारियों के अनुसार, स्कूल प्रधानाध्यापकों के विकास का बहुत महत्व है क्योंकि उन गतिविधियों में सुधार लाने के लिए प्रभावी शैक्षिक नेतृत्व महत्वपूर्ण है, जो शिक्षा और छात्र सीखने के प्रावधान को बढ़ावा देते हैं।
अब तक, प्रधानाध्यापकों की भूमिका पर निर्णय निमार्ताओं और शैक्षिक नेताओं के रूप में सुधार और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ाने में कम जोर दिया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि प्रिंसिपल शिक्षकों, बच्चों और समुदाय के बीच एक सेतु है, जो स्कूल के कामकाज के लिए भूमिका को बेहद महत्वपूर्ण बनाता है।