मरीज ऑनलाइन डिस्चार्ज नहीं तो दूसरे सरकारी अस्पताल में इलाज में परेशानी

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Update: 2023-09-21 16:17 GMT
अलवर। अलवर सरकारी अस्पतालों में ऑनलाइन डिस्चार्ज की प्रक्रिया मरीजों की परेशानी बढ़ा रही है। सामान्य अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में रोजाना एक-दो केस ऐसे आ रहे हैं। इससे मरीजों के परिजनों को भागदौड़ करनी पड़ रही है। दरअसल, प्रदेश के अधिकांश सरकारी अस्पताल इंटीग्रेटेड हेल्थ मैनेजमेंट सिस्टम (आइएचएमएस) से जुड़े हुए हैं। इसमें मरीज के भर्ती होने से लेकर अस्पताल से डिस्चार्ज होने तक की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन दर्ज होती है। वहीं, जब मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिलती है या फिर परिजन उसे इलाज के लिए दूसरे सरकारी अस्पताल में ले जाना चाहते हैं, तब उसे ऑफलाइन डिस्चार्ज सर्टिफिकेट के साथ ही ऑनलाइन डिस्चार्ज भी होना पड़ता है। ऐसे में कई बार मरीज किसी कारणवश मरीज ऑनलाइन डिस्चार्ज होने से रह जाते हैं। इससे वे आइएचएमएस के रेकॉर्ड में उसी अस्पताल में भर्ती दिखाई देते हैं।
इसलिए आ रही दिक्कत: कई बार सॉफ्टवेयर में परेशानी आने पर या किसी टेक्निकल इश्यू के कारण मरीज ऑनलाइन डिस्चार्ज होने से रह जाते हैं। इसके साथ ही कई बार मरीजों के नाम गलत दर्ज होने के कारण भी परेशानी आती है। इसके अलावा एक बड़ा कारण यह भी है कि अस्पताल में कम्प्यूटर ऑपरेटर ओपीडी के समय तक ही उपलब्ध होते हैं। ऐसे में ओपीडी के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले मरीजों को डेटा अगले दिन ही ऑनलाइन हो पाता है। वहीं, कई बार मरीज चिकित्सक को बिना बताए ही अस्पताल से चले जाते हैं। इसलिए भी उन्हें दिक्कत होती है।ऑनलाइन डिस्चार्ज कराए बिना मरीज को दूसरे सरकारी अस्पताल में ले जाने पर भर्ती के समय परेशानी आती है। ऐसे में मरीज के समुचित इलाज के लिए परिजनों को अस्पताल पहुंचकर ऑनलाइन डिस्चार्ज करवाना पड़ता है। इस प्रक्रिया में काफी समय लगने के कारण मरीज के साथ ही परिजनों को भी परेशानी उठानी पड़ती है।
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