नई दिल्ली (आईएएनएस)| कोकिंग कोल उत्पादन को और बढ़ाने के लिए कोयला मंत्रालय ने चार कोकिंग कोल ब्लॉकों की पहचान की है। इसके साथ ही सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट (सीएमपीडीआई) आने वाले महीनों में 4 से 6 नए कोकिंग कोल ब्लॉकों के लिए भूवैज्ञानिक रिपोर्ट (जीआर) को भी अंतिम रूप प्रदान करेगा। घरेलू कच्चे कोकिंग कोयले की आपूर्ति को और बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र के लिए बाद के दौर में की जाने वाली नीलामी में इन ब्लॉकों की पेशकश की जा सकती है। कोयला मंत्रालय द्वारा आत्मनिर्भर भारत के तहत किए जा रहे इन उपायों से घरेलू कच्चे कोकिंग कोल का उत्पादन 2030 तक 140 मिलियन टन (एमटी) तक पहुंच जाने की संभावना है। कोयला मंत्रालय ने बताया कि कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) ने मौजूदा खानों से कच्चे कोकिंग कोल के उत्पादन को 26 मीट्रिक टन तक बढ़ाने की योजना बनाई है। वित्तवर्ष 2025 तक लगभग 22 मीट्रिक टन की पीक रेट क्षमता (पीआरसी) के साथ नौ नए खदानों की पहचान की है। इसके अलावा, सीआईएल ने बंद पड़ी कुल 30 खदानों में से आठ बंद पड़े कोकिंग कोल खदानों की पेशकश की है, जो 2 एमटी पीआरसी के साथ निजी क्षेत्र को राजस्व साझा करने के एक अभिनव मॉडल पर आधारित है।
मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि कोयला मंत्रालय तथा कोयला कंपनियों ने सभी उपभोक्ताओं को गुणवत्ता संपन्न कोयले की सप्लाई के उद्देश्य को पाने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। कोयला कंपनियां 100 प्रतिशत गुणवत्ता संतुष्टि हासिल करने का प्रयास कर रही हैं। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) साधनों से घोषित ग्रेड की कोयले सप्लाई की अनुरूपता में काफी सुधार हुआ है। 2022-23 (नवंबर 2022 तक) में ग्रेड अनुरूपता बढ़कर 69 प्रतिशत हो गई है, जो 2017-18 में 51 प्रतिशत थी।
गुणवत्ता में सुधार के लिए कोयला खदानों का समय-समय पर ग्रेड निर्धारण किया जा रहा है। सरफेस माइनर जैसी उन्नत खनन टेक्नोलॉजी को लागू किया जा रहा है। मंत्रालय के मुताबिक, धुले कोयले की सप्लाई, कोयले की सतह से रैपिड लोडिंग साइलो तक बेल्ट पर कोयले के सीधे परिवहन के लिए पहले मील की कनेक्टिविटी आदि प्रमुख कार्य किए गए हैं।
मंत्रालय के अंतर्गत अधीनस्थ कार्यालय, कोयला नियंत्रक संगठन (सीसीओ) नियमित रूप से समीक्षा करता है और कोयला खदानों के ग्रेड को घोषित करता है। इसमें वार्षिक कोयला खान, लोडिंग प्वाइंट, ग्रेड घोषणा कार्य शामिल हैं। उपभोक्ता संतुष्टि बढ़ाने के लिए खान से डिस्पैच स्थान तक कोयले के गुणवत्ता प्रबंधन पर विशेष बल दिया गया है। अब सीआईएल के सभी उपभोक्ताओं के पास स्वतंत्र थर्ड पार्टी सैंप्लिंग एजेंसियों (टीपीएसए) के माध्यम से सप्लाई गुणवत्ता निर्धारण का विकल्प है।
मान्यता प्राप्त थर्ड पार्टी एजेंसियों को डीआईएस मानकों के तहत लोड किए गए कोयला वेगनों, लॉरियों से कोयले की गुणवत्ता का पता लगाने के काम लगाया गया है। उपभोक्ताओं को पसंदीदा थर्ड पार्टी एजेंसियां उपलब्ध कराने के लिए सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ माइनिंग एंडे फ्यूल रिसर्च (सीआईएमएफआर) तथा भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के अतिरिक्त दो और एजेंसियों- विद्युत तथा गैर विद्युत क्षेत्रों के लिए मेसर्स एसजीएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (सीआईएल), विद्युत क्षेत्र के लिए मेसर्स मित्रा एस के प्राइवेट लिमिटेड को पैनल में शामिल किया गया है।