IAS Divya Mishra: तीसरे प्रयास में बनी अधिकारी, देखें वीडियो

Update: 2023-02-17 07:50 GMT

सोर्स न्यूज़   - आज तक  

Delhi - हर साल लाखों छात्र सिविल सर्विसेज के लिए एग्जाम (UPSC Exam) देते हैं लेकिन इस एग्जाम की कसौटी पर कुछ सौ छात्र ही खरे उतर पाते हैं. आज हम आपको ऐसी ही एक छात्रा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से इस कठिन एग्जाम को क्लियर किया है. साथ ही यह भी बताएंगे कैसे इंडियन आर्मी (Indian Army) और उरी हमले (Uri Attack) ने उन्हें आईएएस (IAS) बनने के लिए प्रेरित किया. 

दरअसल, हम बात कर रहे हैं IAS Divya Mishra की, जिन्होंने अपने भाई को आर्मी में जाते देख सिविल सर्विस जॉइन करने का इरादा किया. हालांकि, उनकी शुरू से इच्छा थी मगर इसी बीच हुए उरी आतंकवादी हमले ने उनके इरादे को और पक्का कर दिया. हाल ही में एक इंटरव्यू में IAS दिव्या सिविल सर्विसेज में आने के सवाल पर कहती हैं- मेरे भाई का इंडियन आर्मी में सेलेक्शन हो गया. अभी वो लेफ्टिनेंट के पद पर हैं. मेरे पूरे परिवार से कोई भी डिफेंस फोर्सेज में नहीं गया. ऐसे में भाई के जाने के बाद एक अलग अनुभव हुआ. इसी बीच उरी हमला हो गया. इसने मेरे अंदर अलग लेवल का इमोशन पैदा किया और सिविल सर्विस में जाने के लिए प्रेरित किया. क्योंकि मैं भी अपने तरीके से देश की सेवा करना चाहती थी.

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बता दें कि दिव्या मूलरूप से कानपुर की रहने वाली हैं. उनके माता-पिता टीचर हैं. घर में पढ़ाई-लिखाई का महौल रहा है. दिव्या ने अपनी शुरुआती पढ़ाई उन्नाव जिले के जवाहर नवोदय विद्यालय से की है. इसके बाद उन्होंने बीटेक किया और 3 साल एक कंपनी में जॉब की. इसके साथ ही उन्होंने IIM से PhD भी किया है. पढ़ाई में वो हमेशा टॉपर रही हैं. शुरुआती दौर में दिव्या को UPSC एग्जाम में कई बार असफलता का सामना करना पड़ा. पहले प्रयास में जब उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू की तो वो महज 4 अंको से परीक्षा क्रैक नहीं कर पाईं. दूसरे प्रयास में उन्होंने एग्जाम तो क्लियर कर लिया लेकिन रैंक कम आने के कारण उनका IAS अधिकारी बनने का सपना अधूरा ही गया.

हालांकि, साल 2020 में दिव्या ने तीसरे प्रयास में अपने सपने को पूरा कर लिया. इस बार उन्होंने 28वीं रैंक हासिल की और IAS अधिकारी बन गईं. यूपीएससी एग्जाम की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए दिव्या सुझाव देती हैं कि असफलता से निराश होने की जरूरत नहीं है, बल्कि अपनी कमियों को पहचानकर फिर से ईमानदार कोशिश करने की जरूरत है.

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