मैंने छगन भुजबल को टिकट देकर गलती की : शरद पवार

Update: 2023-07-10 01:54 GMT

मुंबई। महाराष्ट्र में सियासी उलटफेर के बाद अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। शरद पवार रविवार को छगन भुजबल के चुनावी क्षेत्र येवला में थे। उन्होंने वहां अपने संबोधन में कहा कि छगन भुजबल को टिकट देकर गलती की थी। इसके जवाब में भुजबल ने कहा कि 2019 में जब भाजपा से बात करने के बाद शरद पवार ने ही अपने पैर पीछे खींच लिए थे तभी अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर शपथ ले ली थी।

पार्टी में टूट के बाद पहली रैली को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा था, मैंने येवला से छगन भुजबल को टिकट देकर गलती की है इसलिए मैं यहां को मतदाताओं से माफी मांगता हूं। उन्होंने कहा, मैं इस तरह की गलती कभी नहीं दोहराऊंगा। इसके बाद भुजबल ने पलटवार किया और कहा कि उन्हें तो सभी 50 विधानसभा क्षेत्रों में माफी मांगनी चाहिए। भुजबल ने कहा कि येवला में पिछड़ापन देखकर ही मैंने चुनाव लड़ने का फैसला किया था। विकल्प में और भी विधानसभा क्षेत्र थे।

भुजबल ने कहा, मैं पवार के साथ हर अच्छे बुरे वक्त में खड़ा रहा। लेकिन भाजपा के साथ हाथ मिलाने की चर्चा में शामिल नहीं था। मैं पार्टी में बदलाव में भी शामिल नहीं था। पवार साहेब को लगता है कि इस टूट का मैं जिम्मेदार हूं। लेकिन यह सच नहीं है। उन्होंने कहा कि 1999 में कांग्रेस ने मुझे मुख्यमंत्री बनाने का ऑफर दिया था लेकिन मैंने एनसीपी केसाथ रहना स्वीकार किया। उन्होंने कहा, पवार को सोचना चाहिए कि प्रफुल्ल पटेल अजित पवार और दिलीप वासले जैसे नेताओं ने उनका साथ क्यों छोड़ा। 2014 से ही शरद पवार भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए लगातार संपर्क में थे। उन्होंने भाजपा को शिवसेना से अलग होने पर विवश किया। इसी तरह 2019 से पहले भी वह पीएम मोदी से मिले थे और मिलकर सरकार बनाने पर सहमत हुए थे। लेकिन रिजल्ट के बाद उन्होंने पाला बदल लिया।

उन्होंने कहा कि शरद पवार ने जब पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था तो विधायकों को शिंदे सरकार में जाने की स्वतंत्रता थी। जयंत पाटिल, रोहति पाटिल और जितेंद्र आव्हाड़ समेत विधायकों ने उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए थे। लेकिन फिर शरद पवार ने अपना निर्णय बदल लिया।


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