एमपी। अपने बयानों से कई बार चर्चा में रहने वाले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का एक बयान फिर चर्चा में आ गया है. इस बार उनका मोहम्मद अली जिन्ना को 'साहब' कहकर संबोधित करना लाइमलाइट में गया है. दरअसल, दिग्विजय सिंह कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के साथ मीटिंग के लिए गुना पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने दिग्विजय सिंह ने मंच से अग्रेंजी शासन के समय की बातें कहीं. उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में भगत सिंह और अशफाक उल्ला को साथ में फांसी दी गई. कभी भी हिन्दू मुस्लिम का भेदभाव नहीं था. लेकिन अंग्रेजों ने फूट डालो राज करो को अपना राजनीतिक हथियार बनाया.
दिग्विजय ने आगे कहा,'अंग्रेजों ने हिन्दू मुस्लिम के बीच दरार पैदा कर दी. मुस्लिम लीग, जमात ए इस्लाम , हिन्दू महासभा का गठन करा दिया, जिससे सभी आपस में लड़ते रहें.' उन्होंने आगे कहा कि 'जिन्ना साहब' (मोहम्मद अली जिन्ना) ने अंग्रेजों के खिलाफ कभी आंदोलन नहीं किया. न ही जमात ए इस्लाम ने किया. जमात ए उलेमा ने जरूर आंदोलन छेड़ा था, जिसके चलते मदनी साहब जेल गए थे. सावरकर साहब उस वक्त जेल में थे. दिग्विजय सिंह ने बताया कि सावरकर ने अंग्रेजों से माफी मांग ली थी, लेकिन मदनी ने माफी नहीं मांगी.
कांग्रेस नेता ने विवादास्पद बयान देते हुए कहा,'अंग्रेज चले गए, लेकिन औलाद छोड़ गए. पहले लड़े गोरों से लड़ें और अब चोरों से लड़ रहे हैं.' दिग्विजय ने पीएम मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि यदि मतपत्र से चुनाव करा दिए जाएं तो बीजेपी 200 से ज्यादा सीटें नहीं जीत पाएगी. दिग्विजय ने कहा,'मुझसे RSS इसलिए नफरत करती है, क्योंकि मैं उन्हें घास नहीं डालता. लेकिन 10 साल तक मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री रहने के बावजूद कभी RSS और बीजेपी के लोगों को परेशान नहीं किया. दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे महाज्ञानी हैं, डिग्री होल्डर हैं लेकिन पता नहीं डिग्री कहां की है. प्रधानमंत्री ने ENTIRE POLITICAL SCIENCE की डिग्री ली है. ये डिग्री गुप्त रखी गई है, जो किसी को बताई नहीं जाती.