कश्मीर सुरक्षाबलों के लिए 'हाईब्रिड' आतंकवादी बन रहा है नई चुनौती, ऐसे देता है घटना को अंजाम

कश्मीर सुरक्षाबलों के लिए ‘हाईब्रिड’ आतंकवादी बन रहा है नई चुनौती

Update: 2021-07-04 14:43 GMT

कश्मीर में सुरक्षा बलों (Security forces in Kashmir ) को उग्रवाद के मोर्चे पर एक नई चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. जिसे "हाइब्रिड" का नाम दिया गया है. दरअसल घाटी में इन दिनों 'हाइब्रिड' आतंकवादियों (Hybrid Terrorists) के कारण सुरक्षाबलों को काफी परेशानी हो रही है. हाइब्रिड उन आतंकवादियों को कहा गया है जो पेशेवर तो नहीं हैं, लेकिन आतंकवादी हमले (Terrorist attacks) को अंजाम देने के लिए पर्याप्त रूप से कट्टरपंथी हैं. ये हइब्रीड किसी भी घटना को अंजाम देकर फिर नियमित जीवन में वापस आ जाते हैं.

पीटीआई की माने तो पिछले कुछ हफ्तों में श्रीनगर (Srinagar) शहर सहित घाटी के अन्य कई जगहों पर हमलों में तेजी देखी गई है. ये हमले उन जगहों पर किया जा रहा है जहां से आसानी से निकला जा सके. जिसे सॉफ्ट टारगेट (Soft target) कहते हैं. सुरक्षा एजेंसियों और अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर घटना को अंजाम देने वाले वो लोग थें जो पेशेवर आतंकवादी नहीं है. वहीं दूसरी तरफ आतंकवाद के इस नए चलन ने सुरक्षा एजेंसियों को मुश्किल में डाल दिया है क्योंकि हाइब्रिड या फिर अंशकालिक आतंकियों को ट्रैक करना और उनको चुनौती देना काफी मुश्किल काम है.
'हाइब्रिड' आतंकवादी को ढूढ़ना सबसे बड़ी चुनौती
सिक्योरिटी स्टैब्लिसमेंट (Security Establishment) के अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों के लिए 'हाइब्रिड' आतंकवादी को ढूढ़ना सबसे चुनौती भरा काम हो जाता है क्योंकि वो ठीक वैसे ही होते हैं जैसे कोई आम नागरिक. वो आपके दरवाजे के सामने रहने वाला कोई लड़का भी हो सकता है. जिसे आतंकवादी घटना को अंजाम देने के लिए कट्टरपंथियों द्वारा तैयार किया गया हो और उसे स्टैंडबाय मोड पर रखा गया हो.
ऑर्डर दिए जाने का करते हैं इतंजार
अधिकारियों ने कहा कि हाइब्रिड आतंकी ऑर्डर किए गए काम को अंजाम देता है और फिर एक आम जिंदगी जीने लगता है. इस बीच जबतक उसे दूसरा टारगेट नहीं दिया जाता वह अपने सामान्य काम पर वापस चला जाता है. अधिकारियों ने कहा कि इस नए ट्रेंड के पीछे पाकिस्तान और उसकी जासूसी वाली एजेंसी आईएसआई का हाथ है.


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