पति की मौत, सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी पत्नी, एक साथ उठीं अर्थी और जलीं चिताएं

शव यात्रा एक साथ निकाली.

Update: 2024-09-10 12:03 GMT
नई दिल्ली: आपको हिंदी फिल्म के एक गाने की लाइन याद होगी "यूं जिएं मरेंगे साथ कि दुनिया याद करेगी"। कुछ ऐसा ही अनोखे प्रेम का मामला छतरपुर जिले के नौगांव थाना क्षेत्र के भदेसर गांव से निकल कर सामने आया है। यहां रहने वाले 85 वर्षीय ततुरा राजपूत की मौत के कुछ ही मिनटों बाद पत्नी जमनी बाई ने अपने प्राण त्याग दिए। जमनी बाई की उम्र 80 वर्ष की थी।
जानकारी के अनुसार भदेसर गांव में रहने वाले 85 साल के ततुरा राजपूत ने सोमवार की दोपहर अपने जीवन की अंतिम सांस ली। जमनी बाई जो पैरों से दिव्यांग थीं, लकड़ी के सहारे अपने पति के पास पहुंची और जगाने का प्रयास करने लगीं। काफी देर जगाने के बाद जमनी बाई को इस बात का अहसास हो गया की उनके पति अब इस दुनिया ने नहीं रहे।
इससे पहले कि जमनी बाई संभल पाती, वह जमीन पर गिर गईं। परिवार के लोग जमनी बाई को उठाने पहुंचे तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। परिवार के सदस्य जोधन सिंह राजपूत ने बताया कि जमनी बाई जब जीवित थी तब वह अपने बच्चों से कहा करती थीं कि मुझे अपने पति के साथ सती होना है। अगर भगवान ने मुझे नहीं बुलाया तो तुम लोग मुझे मेरे पति के साथ सती कर देना। गांव के लोगों के अलावा जितने लोगों ने भी इस घटना को सुना सब हैरान रह गए। गांव के लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं सैकड़ों वर्ष पूर्व हुआ करती थी जब सती प्रथा का चलन था या महिलाएं अपने आप ही अपने पति के वियोग में प्राण त्याग दिया करती थीं। यह घटना अपने आप में अद्वितीय है।
बुजर्ग पति पत्नी के एक प्राण निकलने के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने उनकी शव यात्रा एक साथ निकाली। बड़ी संख्या में गांव के लोगों के अलावा आसपास के लोग भी शव यात्रा में शामिल हुए। इसके बाद शमशान में एक ही चिता पर पति-पत्नी के शव जलाए गए जिसे देख लोगों की आंखे नम हो उठी।
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