पति द्वारा जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश, हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी
पति ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे पत्नी को हर महीने 25 हजार रुपए और बेटे को 20 हजार रुपए भरण-पोषण के रूप में देने के लिए कहा गया था।
नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि अगर कोई महिला शारीरिक अक्षमता के कारण प्रकृति के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती है तो वह मानसिक क्रूरता नहीं है। कोर्ट ने यह टिप्पणी पति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की। पति ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उसे पत्नी को हर महीने 25 हजार रुपए और बेटे को 20 हजार रुपए भरण-पोषण के रूप में देने के लिए कहा गया था। हाई कोर्ट फैमिली कोर्ट के इस आदेश को भी बरकरार रखा है।
पत्नी का आरोप था कि पति ने उसकी इच्छा के खिलाफ कई बार उसके साथ एनल सेक्स किया जिसमें उसे चोटें भी आई और उसे कई अस्पतालों में अपना इलाज भी कराना पड़ा। इसके बाद भी पति ने उसके साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की। इतना ही नहीं उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर बच्चे को भी अश्लील वीडियो दिखाए। पत्नी ने आरोप लगाया कि पति बच्चे को लैपटॉप में गंदे वीडियो दिखाता था, अपने प्राइवेट पार्ट्स दिखाता था और कमरे में पेशाब भी करता था। ऐसे में वह इन सब चीजों से तंग आकर घर छोड़ कर चली गई थी। उधर पत्नी के इन आरोपों से इनकार करते हुए पति की ओर से दलील दी गई कि एनल सेक्स कोई अपराध नहीं है। उसने पत्नी के मनोरंजन के लिए यह सब किया। बच्चे के साथ भी कुछ गलत करने का उसका कोई इरादा नहीं था।
जस्टिस रवींद्र मैथानी की सिंगल बेंच ने कहा, कोर्ट का विचार है कि प्रकृति के आदेश के खिलाफ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करने के लिए पत्नी के पास वैध कारण थे। पत्नी शारीरिक रूप से ऐसा करने में असमर्थ थी क्योंकि उसे चोटें लगी थीं। इसलिए, यह इनकार मानसिक क्रूरता नहीं है।
दोनों की शादी साल 2010 में हुई थी। पत्नी ने आरोप लगाया कि पति उसे दहेज के लिए परेशान करता था और मारपीट करता था। स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या होने के बाद भी वह जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश करता रहा। हालांकि पति ने इन आरोपों से साफ इनकार किया है।